अमेरिका में FAANG बिजनेस में काम करने वाले एक NRI को अपनी नौकरी खोने की चिंता सता रही है। एनआरआई को इस बात की फिक्र है कि कोई काम ना होने पर संभववतः उन्हें अपने परिवार के साथ भारत वापस लौटना पड़ सकता है। एक Reddit पोस्ट में उन्होंने लिखा, “मैं अभी भी H1B वीजा पर हूं और अमेरिका में एक FAANG बिजनेस में काम कर रहा हूं, लेकिन अगले कुछ महीनों में मेरे पद के समाप्त होने की बहुत अधिक संभावना है।” बाजार में नौकरियों की मौजूदा स्थिति को देखते हुए, उन्हें इस बात की गहरी चिंता है कि निकट भविष्य में दूसरी नौकरी ढूंढना मुश्किल हो सकता है।
अपने करियर को लेकर चिंता के साथ-साथ वह भारत लौटने को लेकर भी चिंतित हैं। उनके दो बच्चे हैं- एक प्राइमरी स्कूल में पढ़ता है और दूसरा हाई स्कूल में। इसलिए उन्हें इस बात की चिंता सता रही है कि अगर वे भारत लौटते हैं तो उनके बच्चे भारतीय संस्कृति और शिक्षा प्रणाली में किस हद तक ढल पाएंगे। उनका परिवार बेंगलुरु (बैंगलोर) लौटने की योजना बना रहा है।
‘बच्चे हमसे कहीं ज़्यादा मजबूत होते हैं, जितना हम उन्हें समझते हैं’
इंटरनेट पर कई लोगों ने उस एनआरआई को सुझाव दिए हैं। एक यूज़र ने कहा, “यह तब ही बड़ा मुद्दा बनेगा जब आप इसे बनाएंगे। बच्चे हम जितना सोचते हैं उससे कहीं ज़्यादा लचीले होते हैं।”
एक अन्य यूज़र ने लिखा, “मैं वापस भारत आ चुका हूँ। बच्चे बहुत अच्छा कर रहे हैं। मुझे नहीं लगता कि ये कोई बड़ी समस्या है। असली चुनौती तो यहां नौकरी ढूंढने और वर्क कल्चर के साथ एडजस्ट करने में है। एक और परेशानी जीवन स्तर (quality of life) के साथ तालमेल बैठाना है।”
एक और नेटिजन ने अपनी कहानी साझा करते हुए लिखा, “सालों पहले मैं 7वीं और 8वीं कक्षा अमेरिका में पढ़ा क्योंकि मेरे पापा का वहां टेम्पररी ट्रांसफर हुआ था। जब मैं 9वीं में ICSE में लौटा तो मुश्किल हुई क्योंकि सिलेबस का स्तर अचानक बहुत ऊपर चला गया। लेकिन मैंने मेहनत की और अच्छा किया। कह नहीं सकता कि मुझे वापस आना या वो बदलाव पसंद आया, लेकिन उस अनुभव ने मुझे ये आत्मविश्वास दिया कि मैं मुश्किल परिस्थितियों से निकल सकता हूँ।”
एक अन्य यूजर ने तीखी टिप्पणी करते हुए लिखा,”बच्चों को हर बात पर दुलारने की बजाय उन्हें ये समझाना चाहिए कि दुनिया कैसे चलती है। मैंने अपने बच्चे से साफ कहा है — ‘या तो हालात के साथ ढलो या फिर पीछे छूट जाओ।’ सच ये है कि आज तुम जहां हो, कल कहीं और हो सकते हो — और ये ज्यादातर तुम्हारे कंट्रोल में नहीं होता। इसलिए उससे निपटना सीखो। बच्चे वहीं जाते हैं जहां उनके माता-पिता जाते हैं… बस। बच्चों को हर बार शहद पिलाना बंद करो… उन्हें ‘किड्स’ कहा जाता है, ‘बेबीज़’ नहीं, इसकी एक वजह है।”
वहीं एक और नेटिजन ने चिंता जताते हुए लिखा,”शायद मुझे इसके लिए डाउनवोट मिले, लेकिन मैं फिर भी कहूंगा। एक और दिक्कत ये है कि आपका बड़ा बच्चा अमेरिका का नागरिक नहीं (संभावना है) है, जबकि छोटा शायद है। अगर कभी भविष्य में वे अमेरिका वापस जाना चाहें, तो उनके लिए यह एक बहुत बड़ा फर्क होगा। और सोचिए, उस समय इसका दोष किसे दिया जाएगा? यह न सिर्फ दोनों बच्चों के बीच, बल्कि बड़े बच्चे और आपके (माता-पिता) के बीच भी दूरी पैदा कर सकता है।”