विश्व बैंक की राय में भारत में कारोबार करना ज्यादा आसान हो गया है। विश्व बैंक की कारोबार सुगमता सूची या ‘ईज आॅफ डूइंग बिजनेस’ की रैकिंग में भारत ने इस साल 14 पायदान की छलांग लगाकर अब 63वां स्थान हासिल किया है। न्यूजीलैंड पहला स्थान बरकरार रखने में सफल रहा है। सिंगापुर दूसरे और हांगकांग तीसरे स्थान पर रहे। कोरिया पांचवें और अमेरिका छठे स्थान पर रहा। भारत की रैंकिंग वर्ष 2014 में 190 देशों में 142वें स्थान पर थी। इस रैंकिंग में सुधार होने से भारत को ज्यादा विदेशी निवेश आकर्षित करने में मदद मिलेगी। वर्ष 2018 में भारत इस सूची में 77वें स्थान पर था।
क्यों महत्त्वपूर्ण है यह सूची
विश्व बैंक की यह रैंकिंग सूची ऐसे समय में आई है, जब भारतीय रिजर्व बैंक, विश्व बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, मूडीज समेत कई विभिन्न एजंसियों ने आर्थिक सुस्ती को देखते हुए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में बढ़त के अनुमान को घटा दिया है। किसी भी देश की आर्थिक वृद्धि के लिए ईज आॅफ डूइंग बिजनेस अर्थात कारोबार सुगमता बेहद अहम होता है। विश्व बैंक की यह सूची तैयार करने में कई तरह के आकलन किए जाते हैं और किसी देश को रैंकिंग दी जाती है। यह देखा जाता है कि वहां कारोबार करने में लोगों को कितनी आसानी है। कौन सा देश किस नंबर पर रहेगा- इसका फैसला देशों में कारोबार की सुगमता के आधार पर किया जाता है।
भारत ने क्या-क्या उपाय किए
भारत ने वर्ष 2003-04 से कारोबार सुगतना के लिहाज से 48 सुधारों को लागू किया। विश्व बैंक के अनुसार भारत की इस साल की उपलब्धि कई सालों के सुधार के प्रयासों पर टिकी हुई है। भारत लगातार तीसरे साल अर्थव्यवस्था के मामले में शीर्ष-10 सुधारक देशों में शामिल रहा है। भारत के सुधार की प्रमुख वजह दिवालिया कानून को लागू करना, निर्माण परमिट से निपटना, संपत्ति का पंजीकरण करना और सीमा पार व्यापार को बेहतर करना है। कारोबार सुगमता सूची में न्यूजीलैंड शीर्ष पर बना हुआ है। इसके बाद सिंगापुर, हांगकांग का स्थान है। दक्षिण कोरिया सूची में पांचवें और अमेरिका छठे स्थान पर है। यह सूची ऐसे समय में आई है जब भारतीय रिजर्व बैंक, विश्व-बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने देश की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान में कमी की है।
शीर्ष 50 में शामिल होने की चुनौती
भारत में कंपनियों के बीच करारनामा लागू करने और संपत्ति के पंजीयन में लगने वाले समय को लेकर सुधार न होने से भारत शीर्ष 50 में शामिल होने से चूक गया। करारनामा लागू कराने को लेकर भारत की रैंकिंग 190 देशों में 163 वें स्थान पर रही। पिछले साल भी यह इसी स्थान पर रही थी। जाहिर है, एक साल में इसमें कोई भी सुधार नहीं हुआ है। दरअसल, इसमें दो कंपनियों के बीच विवाद के निपटारे की पद्धति, समय और उसकी लागत को ध्यान में रखकर इसकी रैंकिंग तय की जाती है। संपत्ति के पंजीयन में भारत को इस साल इस श्रेणी में 154 वें स्थान मिला, जबकि पिछले साल 166 वां स्थान था। दरअसल, इसकी पारदर्शी प्रक्रिया, पद्धति, लागत आदि कारकों पर रैंकिंग तय होती है।
क्या कहा विश्व बैंक ने
विश्व बैंक के निदेशक (विकास अर्थव्यवस्था) साइमन जेनकोव ने कहा कि लगातार तीसरे साल सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले शीर्ष दस देशों में भारत जगह बनाने में सफल रहा है। इस रैंकिंग के 20 साल के दौर में ऐसी सफलता बहुत कम देशों को मिली है। बिना किसी अपवाद के ऐसा प्रदर्शन करने वाले देश बहुत छोटे और कम आबादी वाले रहे हैं। बड़ी आबादी वाले और विशाल देशों की बात करें तो भारत ऐसा पहला देश है जिसने इस साल 14 पायदान की छलांग लगाई है। बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले शीर्ष दस देशों में भारत के अलावा चीन (31), बहरीन (43), सऊदी अरब (62), जॉर्डन (75), कुवैत (83), टोगो (97), ताजकिस्तान (106), पाकिस्तान (108) और नाइजीरिया (131) शामिल हैं।