मनोज तिवारी ने कहा कि शीला दीक्षित की अगुआई में सोची-समझी रणनीति के तहत दिल्ली नगर निगम के टुकड़े किए गए जिसकी किसी ने मांग नहीं की थी।

मनोज तिवारी ने कहा कि निगमों के एकीकरण का लक्ष्य पूरा होने के बाद जरूरत इस बात की है कि दिल्ली को एक मजबूत मेयर मिले। मनोज तिवारी जनसत्ता बारादरी के मेहमान थे। दिल्ली नगर निगम चुनावों के मद्देनजर उन्होंने दिल्ली के स्थानीय मुद्दों पर विस्तृत बातचीत की। मनोज तिवारी ने मेयर पद को शक्तिशाली करने के भाजपा की रणनीति के सवाल पर कहा, ‘हम तो कभी किसी पद की गरिमा को कम करना ही नहीं चाहते हैं। मेयर का पद तो शक्तिशाली होना ही चाहिए।

मैंने भी इस मुहिम को आगे बढ़ाया कि दिल्ली नगर निगम को मिलने वाला बजट दिल्ली सरकार के जरिए न आकर सीधा केंद्र से आए। तब मैं यह नहीं समझ पाया था कि केंद्र से सीधे बजट तब तक हस्तांतरित नहीं हो सकता जब तक कि एक एकीकृत निगम न हो। यह दोनों काम हमारे शीर्ष नेतृत्व ने किए। एकीकरण के वक्त गृह मंत्री ने कहा था, कभी दिल्ली के एमसीडी का बजट चालीस हजार करोड़ रुपए हुआ करता था’।

मनोज तिवारी ने आरोप लगाया कि शीला दीक्षित ने वरिष्ठ कांग्रेस नेता रामबाबू शर्मा से अधिकार के झगड़े के कारण निगम के टुकड़े कर दिए। अगर एक मुख्यमंत्री को यह लगा कि एक निगम का नेता हमें आंखें दिखा सकता है, हमसे अच्छा काम कर सकता है तो हमने वापस वही व्यवस्था कर दी। मेयर को तो मजबूत होना चाहिए। मेयर के हाथ में बजट होना चाहिए’।

मनोज तिवारी ने कहा, ‘अगर मेयर शक्तिशाली न रहे और अधिकारी शक्तिशाली रहे तो फिर हम चुनाव लड़ कर भी हार जाते हैं। निगम के एकीकरण के विधेयक को पास करते समय चर्चा के समय हमने सदन के पटल पर बोला था। मैंने, रमेश बिधूड़ी और प्रवेश वर्मा ने यह बात बोली थी। बाद में गृह मंत्री ने भी इस बात को रेखांकित किया। उन्होंने हम सबको उद्धृत करते हुए कहा कि इन सांसदों की बोली गई बात को गली-गली पहुंचाना चाहिए। हमारा उद्देश्य है कि दिल्ली में मेयर का जैसा दायित्व और प्रभामंडल होता है, वैसा ही होना चाहिए’।

भाजपा के 15 साल के शासन के बाद भी निगम खस्ताहाल है और इसकी कार्यशैली पर सवाल उठते रहे हैं। इस सवाल पर मनोज तिवारी ने कहा कि भले हम 15 साल से नगर निगम में हैं। अभी तक हम उच्चस्तरीय प्रदर्शन इसलिए नहीं कर पाए क्योंकि हमारे पास फंड का रोना रहा। ठग सुकेश चंद्रशेखर का मामला ऐन चुनावों के समय में उठना और भाजपा का उसे मुद्दा बनाने के समय पर सवाल उठ रहे हैं।

इस सवाल पर मनोज तिवारी ने कहा, ‘एक अपराधी 2017 से जेल में है। उसके सत्येंद्र जैन से रिश्ते 2015 से हैं। वह इस बात को चिट्ठी में लिखता भी है और इसके सबूत भी हैं। सुकेश जैन के अरविंद केजरीवाल पर लगाए आरोप सामान्य नहीं हैं। आपका सवाल है कि अभी मुद्दा क्यों उठा तो चूंकि जो भी वादा करेगा उसकी समय-सीमा होगी। उस समय-सीमा में वादा पूरा नहीं हुआ तो उसने अपनी आवाज उठाई।

कोई भी गलत वादा करेगा तो वह तभी पता चलेगा जब वादे का समय चला जाएगा और उसे नहीं मिलेगा। इन चीजों की जांच होनी चाहिए। लेकिन वे जांच ही नहीं होने देना चाहते। वे जांच रोकना चाहते हैं। जांच पर घबरा जा रहे हैं। तो इसकी जांच हो जाए। अभी तो हम आरोपी बोल रहे हैं। हम उन्हें दोषी कहां बता रहे हैं। लेकिन आम आदमी पार्टी जांच से क्यों घबरा रही है।