सबरंग- हमारी याद आएगी: ब्राडवे और प्लाजा के बीच पली एक प्रेम कहानी

मुंबई के उपनगर दादर (पश्चिम) में फिल्मकार वी शांताराम का ऐतिहासिक सिनेमाघर प्लाजा। उससे कुछ दूर पर सामने दाहिने हाथ…

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सबरंग- हमारी याद आएगी: नारायण की कल्पना, शंकर ने बदली हकीकत में

सिनेमा की दुनिया में दक्षिण के दो शंकर मशहूर हैं। एक तो 55 साल के मैकेनिकल इंजीनियर शंकर षणमुगम, जिन्हें…

हमारी याद आएगी: जब ऊंघती तबस्सुम को देख रुकवा दी शूटिंग

बुलंद आवाज और धारदार संवाद अदायगी के लिए सराहे जाने वाले फिल्मकार और अभिनेता सोहराब मोदी नाटकों की दुनिया से…

हमारी याद आएगी: जब साहिर और शोमैन की सिफारिशें टकरार्इं

शोमैन राज कपूर चाहते थे कि ‘फिर सुबह होगी’ फिल्म में उनके पसंदीदा शंकर-जयकिशन संगीत दें। मगर फिल्म के गीतकार…

हमारी याद आएगी: पचासी झटके और 35 शहरों में सिल्वर जुबिली

मोहन सहगल। (1 दिसंबर, 1921-19 अक्तूबर, 2005): मोहन सहगल भारतीय सांस्कृतिक केंद्र अल्मोड़ा से निकलकर 1947 में मुंबई आए। कुछेक…

हमारी याद आएगी: पिता से सम्मान का इंतजार करती रहीं निरुपा

सिनेमा के शुरुआती दौर में फिल्मों में काम करना सामाजिक प्रतिष्ठा गिराने जैसा माना जाता था। हालांकि परिवार से बगावत…

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