अरोड़ा को जिस ‘यादों की बरात’ से सफलता मिली थी, उसे हिंदी फिल्मों की पहली मसाला फिल्म माना जाता है।…
अरोड़ा को जिस ‘यादों की बरात’ से सफलता मिली थी, उसे हिंदी फिल्मों की पहली मसाला फिल्म माना जाता है।…
तब सुब्बुलक्ष्मी तमिल फिल्मों की मशहूर अभिनेत्री और गायिका थीं। पूरा दक्षिण उनका दीवाना था।
फिल्मों के कैमरामैनों के लिए रोशनी किसी अनियंत्रित हाथी की तरह होती है, जिसे काबू में करना जरूरी होता है।…
निर्माता घर में आते थे प्रेमनाथ को लगता था कि वह उन्हें साइन करने आए, लेकिन वे बीना राय को…
लिहाजा जब डावजेकर को ‘आपकी सेवा में’ (1943) नामक हिंदी फिल्म में संगीत देने का मौका मिला।
स्मिता पाटील में देश की चारों दिशाओं के फिल्मकारों को अपनी कहानी के पात्र नजर आए। नतीजा यह हुआ कि…
पैंतीस सालों तक कालिया दर्शकों के दिमाग में इस शिद्दत से जिंदा था कि निर्देशक अश्विनी धीर ने ‘अतिथि तुम…
राजश्री प्रोडक्शन (प्रा.) लि. की नींव ताराचंद बड़जात्या ने 1947 में रखी थी। सिनेमा कारोबार के तीनों अंगों-निर्माण, वितरण और…
फिल्मजगत की चकाचौंध से बहुत कम ही लोग बच पाते हैं। ऐसे में अगर फिल्मों में सफलता मिल जाए तो…
‘कोई हमदम न रहा…’ (झुमरू) और ‘एक चतुर नार बड़ी होशियार…’ (पड़ोसन) गाने 1961 में किशोर कुमार ने गाए थे।…
भगवान को पता चला कि आठ महीनों से उन्हें किसी फिल्म का प्रस्ताव नहीं मिल रहा था तो इसकी वजह…
फिल्मों के गीतकार को न सिर्फ संगीतकार को संतुष्ट करना होता है बल्कि निर्माता-निर्देशकों की पसंद पर भी खरा उतरना…