
हम ‘जीवन की लय’ की बातें करते हैं और कई बार अफसोस जताते हैं कि हमारे समय में ये खो…
हम ‘जीवन की लय’ की बातें करते हैं और कई बार अफसोस जताते हैं कि हमारे समय में ये खो…
इस सोलह जनवरी को मैं अपनी आयु के पचहत्तर वर्ष पूरे कर गया। संयोगवश इस वर्ष कविता लिखने के साठ…
हिंदी गजल को हिसाब में न लेने का आरोप जिन लेखकों पर लग सकता है उनमें मैं भी एक हूं।
प्राचीनों ने जब साहित्य, कलाओं, सौंदर्य आदि के सिलसिले में देश-काल की अवधारणा की थी तो वह कोई ऊपर से…
लेखक, कलाकार, बुद्धिजीवी आदि थोड़ा महीन कातते हैं और उसी के लिए बदनामी भी झेलते हैं: उन पर हमारे तेज…
रुड़की में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के दीक्षांत सभागार में स्पिकमैके के पहले शिशिर वार्षिक अधिवेशन में देश भर से आए…
जब अमदाबाद स्थित भारतीय सामुदायिक शिक्षा समिति के निमंत्रण पर रामलाल पारीख स्मृति व्याख्यान ‘साहित्य की नागरिक भूमिका
भारत भवन के पहले दशक में अपने कई मूर्धन्यों पर हमने बड़े आयोजन किए थे, जिनमें मैथिलीशरण गुप्त, जयशंकर प्रसाद,…
हाल में एक विश्वविद्यालय ने मुझे एक कवि की दृष्टि से हिंदू धर्म पर विचार व्यक्त करने के लिए आमंत्रित…
आजकल जवाहरलाल नेहरू को अवमूल्यित करने का एक सुनियोजित अभियान चल रहा है: अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के सिकुड़ते क्षेत्र पर…
तुलसीदास ने राम के राज्यारोहण के बाद उनके द्वारा नागरिकों को संबोधन में उनसे यह कहलाया है: जो अनीति कछु…
हमारे समाज और समय में अनेक धर्म सक्रिय हैं: एक ही धर्म में कई रूप प्रचलित और लोकप्रिय हैं, जैसे…