उत्साह से भरे मुखड़े की ओर कभी देखा जाए तो मन होता है कि नजर हटाई ही न जाए। उमंग से भरे जोशीले लोग जिनके आसपास होते हैं, उनको अपना जीवन सुंदर लगता होगा। कहते हैं कि हमारे भीतर ठाठें मारता उत्साह इस बात का संकेत है कि हमारे मन में जीवन को लेकर आशावादी नजरिया आज भी कायम है। दूसरे अर्थ में यह भी कह सकते हैं कि जोश और उत्साह हमारे सुखमय दिनमान का जीता- जागता आईना भी है। फिर भी हमारे आसपास ऐसे बहुत से लोग मिल जाएंगे जो निरंतर कुछ न कुछ काम कर रहे हैं, लेकिन उनमें एक गहरी उदासी, एक अजीब दुख बना ही रहता है। वे न जाने किस तरह की सोच पर चलते हैं कि अगर काम के बीच आनंद और सुकून के कुछ पल आ रहे हों, तब भी उनमें उत्साह वाले लक्षण दिखाई नहीं पड़ते हैं।

ये लोग उमंग और उत्साह को एक सामान्य-सी मानसिक अवस्था या कोई गैरजरूरी क्रिया ही मानकर चलते हैं। यानी कभी मजबूरी हो गई तो सामाजिक होने की जिम्मेदारी निभाने के लिए कभी अपनी बाहों को कुछ फैला लिया और आंखें बड़ी कर ली। बस निभाने के लिए उत्साह भरी एक फकत दुनियादारी हो गई। फिर वापस अपने उसी नीरस ढर्रे पर लौट आए, बगैर जोश के सारा जीवन ही काट देते हैं कुछ लोग।

असली उत्साह वह होता है जो हमें भयानक तनाव और थकान में भी एक निराली सोच के साथ जवां रखता है। भले ही कितना अजीबोगरीब काम निपटाना पड़ रहा हो, तब भी कुछ उत्साही ऐसे निराले होते हैं कि उस गंभीर काम को करते हुए भी अपनी तरंग की बौछार को बिखेरते जाते हैं।
प्रकृति का सिद्धांत हम सबके जीवन में लागू होता है। यानी भीतर जैसे होंगे वैसे ही बाहर भी दिख जाएंगे। उत्साह और उमंग का भी यही दर्शन है। यहां अमीर होना, प्रतिष्ठित होना बिल्कुल भी जरूरी नहीं है, पर हां, अपने अस्तित्व के प्रति प्रसन्न और जोशीली गति में होना जरूरी है। यह आनंद किसी उलझी रस्सी को सुलझाने में भी भरपूर मिल सकता है और एक करोड़ का हीरा पहनने पर भी नहीं मिल सकता। लोग दिनोंदिन अपनी तरक्की के रास्ते पर चलकर अंधेरे में भी रोशनी खोज लाते हैं। बहुत अनुशासित रहते हैं। इस तरह अपने सपने पूरे कर लेते हैं, फिर भी उत्साह और उमंग की तरंग को भूल ही जाते हैं।

सुविधाओं में कभी-कभी आ जाते हैं अवसाद

बहुत बार अमीर और सुविधाओं से लकदक लोग भी अवसाद में आ जाते हैं। दरअसल, वे छोटी-छोटी बातों में उत्साह को खो चुके होते हैं और बार-बार अपने कुबेर के खजाने को टटोलकर वहां से एक शानदार जीवन को पुकारते हैं। हर बार असमंजस में पड़ जाते हैं कि मानसिक सेहत और सकारात्मक नजरिया आखिर गया तो गया कहां! जबकि उसे दबाने और कुचलने का काम तो उन्होंने ही किया होता है। तब शायद कोई खालीपन हमें झकझोर कर कहता है कि अंगड़ाई लेकर या ताली बजाकर ही सही, उत्साह और उमंग में सराबोर रहना क्यों जरूरी है। यह बात हम सबने हर जगह सुनी होगी कि बिना लगाव के लकीर के फकीर बनकर काम करने से बस काम निभ जाता है, मगर संतोष नहीं आता। जबकि संतोष और सुकून हमारी मानसिक सेहत के लिए बहुत जरूरी है। यह सच भी है कि उत्साह और उमंग में गुजारे गए मेहनत भरे पल भी हमको फूल से नाजुक लगते हैं. बहुत तरीकों से मानसिक और शारीरिक शांति प्रदान करते हैं। दार्शनिक सुकरात कहते हैं कि ‘हमारी उमंग को बस एक लम्हे की जरूरत होती है।’

हम सबके मन की एक भाषा होती है। उसको पढ़ना जरूर चाहिए। हमारा यह मन सब जानता है। वह बार-बार उस तरफ जाना चाहता है जहां उमंग की तरंग भरा वातावरण मिले और दिल में एक ऊर्जावान लहर उठती है। वह आनंद से शुरू होकर शरीर में एक सकारात्मक शृंखलाबद्ध प्रतिक्रिया होने लगती है, जिस कारण हृदय रक्त को तेजी से पंप करता है और शरीर में रक्त का संचरण सुचारु बना रहता है।

इतना ही नहीं, उत्साह में जीने से हम थकान महसूस नहीं करते। दिल मजबूत रहता है। तनाव रहित काम यानी काम नहीं बस आनंद ही आनंद। मनोवैज्ञानिक एडलर का कथन है कि अनचाही और नापसंद दशा में मानसिक व्यायाम करना चाहिए, यानी अपने जोश और अपने उत्साह को सौगुना करना चाहिए। यह केवल हम ही कर सकते हैं। इसमें जोश जगाने वाला कोई टानिक या दवा नहीं। बस अपने विचारों को उत्साह की खाद मिले। इससे संकीर्ण विचार कम आते हैं, मन आनंद में पुष्पित और पल्लवित होता है, शरीर के सभी अंगों का तनाव भी कम हो जाता है।

बिना जोश, उमंग तथा उदास तरीके से जीवन जीना सही नहीं

यह अटल सत्य है कि, हम लाख चाहें फिर भी इस बात को नहीं जान सकते कि हमारे आने वाले कल में क्या होगा। तो फिर किस बात की चिंता और बेचैनी? अगर हम बस सफल होकर गंभीर बनकर बगैर जोश और उमंग के सपाट तथा उदास तरीके से जी रहे हैं तो कि अपनी जिंदगी को व्यर्थ ही गवां रहे हैं। अपनी जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए दिन-रात मेहनत करना गलत नहीं है, लेकिन अगर उससे संतुष्टि, उल्लास, उन्मुक्तता, गूंज, उमंग, दिन मे कई बार उमड़ने वाला जोश नहीं मिल रहे तो मानसिक शांति और संतुलन बिगड़ रहा है।

जीवन में जो सबसे जरूरी है, वह है कि हम बस अपने आज में जीएं, अपने हर पल को अपने जीवन का सबसे हसीन और खूबसूरत पल बनाएं। अपने परिवार के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताएं, अपने आप को स्वस्थ बनाएं और जो कुछ भी पाना चाहते हैं, उसी दिशा में पूरी निडरता और ईमानदारी से अपना पूरा प्रयास करें! जीवन अगर जोशीला, हरा-भरा, मस्त मगन हो तो यह चमत्कार से कम नहीं।