
अगर सच में कोई बदलाव चाहिए तो मर्जी को सच में उनकी ही मर्जी होने देना होगा।
इन दिनों बसंत के इस मौसम में बसंत शायद रूठ गया है हमसे।
विश्व के छोटे-छोटे देश भी बेटियों या महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान के मामले में हमसे बेहतर स्थिति में हैं।
पता नहीं, कबसे भाग रहा हूं। फिनिशिंग लाइन तो कबकी निकल चुकी, फिर भी भागा जा रहा हूं।
किसी विद्यालय या महाविद्यालय में शिक्षण सत्र के अंतिम परिणाम के बाद मिलने वाली अंक सूची भर से हम अगले…
देश में कोई महानगर ऐसा नहीं, जहां हजारों आधे-अधूरे फ्लैट भरी किसी बदनसीब की तरह सूनी आंखों से आसमान की…
विचार की संस्कृति ही सही मायने में जीवन जीने को दिशा देने का काम करती है।
आजकल पुराने जमाने की किसी बात को याद करें तो इसके दो असर दिखते हैं।
किशोरावस्था में स्कूल के बाद कॉलेज जाना गांव की लड़कियों के लिए नई दुनिया में कदम रखने से कम का…
हमारा व्यक्तित्व अनगिनत पलों में अनेक अनुभवों से मिल कर बनता है।
समाजशास्त्र की सफल अवधारणा है कि समाज की लघुतम इकाई परिवार संचालन का मूल ऊर्जा स्रोत संवेदना रही है।
मानसून ने दस्तक दे दी है। अब अमृत वर्षा शुरू होने ही वाली है। दरअसल, जल से ही हमारा आज…
प्रकृति ने धरती पर अपने विराट वैभव भंडार से असंख्य संपदाओं को जनमानस के उपयोग और कल्याण के लिए सृजित…
गांव में उन दिनों व्यक्तिगत परिवहन साइकिल से होता था। सामूहिक आवागमन बैलगाड़ियों से किया जाता था। ट्रैक्टर और मोटरसाइकिल…
हम सबका जीवन मूलत: बंधनमुक्त है। हम इस सनातन सत्य को जानने और समझने के बाद भी इस जगत में…
मनुष्य आमतौर पर पूर्वाग्रह से भरा हुआ जीव है। किसी नई जगह जाने या किसी नए व्यक्ति से मिलने से…
विद्यार्थियों को पढ़ाना सदैव सुखद अहसास देता है। खासतौर पर कॉलेज में पढ़ाते हुए हम युवाओं की सोच से भी…
कितने सारे खिलौने थे। एक खिलौने में एक ढोल बजाता बंदर था, तो दूसरे में पहियों के सहारे चलने वाला…
वक्त के साथ कैसे सब कुछ इतना बदल जाता है कि एक दौर में सबके लिए सबसे जरूरी चीजें बेमानी…
टीवी धारावाहिक महाभारत के सूत्रधार की गंभीर आवाज में कहे गए शब्द ‘मैं समय हूं’ को कौन भूल सकता है।
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