राजेंद्र बज

हर किसी की जिंदगी में कोई विशेष चाहत होती है। आमतौर पर ऐसी चाहत कभी अपने लिए या कभी अपने परिवार के लिए हुआ करती है। इस संदर्भ में मन, वचन और कर्म की एकाग्रता के साथ मनोवांछित लक्ष्य तक पहुंचने का प्रयास किया जाता है। मगर व्यावहारिक रूप से ऐसा बहुत कम संभव हो पाता है कि भरपूर प्रयासों के पश्चात भी हर कोई मनोवांछित लक्ष्य को पा सके।

कई बार हम अपनी क्षमताओं का वास्तविक आकलन करने में गंभीर भूल कर बैठते हैं। इसके चलते कभी क्षमताओं का पर्याप्त दोहन नहीं हो पाता तो कभी अपने आप पर जरूरत से ज्यादा विश्वास कर लिया जाता है। नतीजतन, अपेक्षित परिणाम नहीं मिल पाते और हम निराशा के गहन अंधकार में डूब कर रह जाते हैं। हालांकि यह भी विचारणीय है कि दुनिया में जितनी तरह की विविधताएं हैं, जितने तरह के लोग हैं, जितनी तरह सोचने-विचारने के ध्रुव हैं, उसमें क्या यह अनिवार्य है कि हम जो भी करना चाहें, उसमें हर बार हमें कामयाबी मिले ही?

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इस संदर्भ में आवश्यकता इस बात की है कि कोई भी लक्ष्य निर्धारित करने के पूर्व हमें अपनी वास्तविक क्षमताओं का पर्याप्त आकलन तमाम संभावित चुनौतियों को ध्यान में रखकर करना चाहिए। यह सच है कि यथार्थ के धरातल पर टिकी सोच के आधार पर ही भविष्य निर्माण की परिकल्पनाओं को साकार सिद्ध किया जा सकता है।

लेकिन जीवन में महत्त्वपूर्ण मुकाम पाने के लिए महत्त्वाकांक्षा का होना भी एक आवश्यक शर्त है। कभी-कभी वांछित लक्ष्य को पाने के लिए संभावनाओं का पूर्वानुमान भी लगाना होता है। जीवन में प्रगति पथ पर अग्रसर रहने के लिए हौसलों की उड़ान भी बहुत मायने रखती है। ऐसी स्थिति में हमारा आत्मबल ही हमें संबल देता है। अगर कुछ नाकामियों के बाद भी हमारा आत्मबल कायम रह जाता है तो निश्चित रूप से कामयाबी हमारे रास्ते में होगी।

दरअसल, परिस्थितियां कभी भी एक समान नहीं होतीं। अनेक अवसरों पर ऐसे कारण और निमित्त बन जाते हैं कि हमें अपनी कार्ययोजना में कहीं-कहीं आंशिक परिवर्तन भी करने होते हैं। हमें ऐसे संभावित परिवर्तनों के प्रति मानसिक रूप से तैयार रहने की जरूरत होती है। कभी-कभी पारिवारिक, सामाजिक या आर्थिक कारणों के चलते वांछित लक्ष्य में परिवर्तन करना भी जरूरी हो जाता है।

ऐसे में हमें भविष्य निर्माण की अन्य संभावनाओं पर भी विचार कर लेना चाहिए। ऐसा करने पर जीवन की दशा और दिशा में तब्दीली करना भी पड़े, तो भी मन में कोफ्त नहीं होती। किसी एक ही लक्ष्य पर पूर्ण रूप से अडिग रहना आज के दौर में व्यावहारिक दृष्टिकोण से सही नहीं कहा जा सकता। बल्कि ऐसा भी होता है कि किसी एक लक्ष्य या तरीके पर टिके रहना या उस पर जिद करना ही हमारी कामयाबी की राहों में सबसे बड़ा अड़चन होता है।

जब दौड़ प्रतियोगिता होती है, तब सारे धावक प्रथम आने की कामना करते हैं, लेकिन सब आ नहीं पाते। ऐसे में दूसरा, तीसरा या अंतिम स्थान भी मिले तो यह सोचकर दिल को सुकून होना चाहिए कि यही एकमात्र प्रतियोगिता जिंदगी की आखिरी प्रतियोगिता नहीं थी। आगे अवसर और भी आएंगे, तब इस प्रतियोगिता में पिछड़ना भी हमारे रियाज के रूप में हमें और अधिक काबिल बनाने में सहायक होगा।

लक्ष्य की दिशा में आगे बढ़ने के प्रयास कभी अकारथ नहीं जाते। कहीं-न-कहीं उसका प्रतिफल देर सबेर ही सही, लेकिन मिलता अवश्य है। और कुछ नहीं तो अनुभव का लाभ तो जीवन में कभी-न-कभी काम आता ही है। इसलिए हमें प्रयास करना किसी भी हालत में छोड़ना नहीं चाहिए।

जब हम विराट लक्ष्य को सामने रखकर उसे जगजाहिर कर देते हैं, तो बहुत स्वाभाविक है कि हमें हतोत्साहित किए जाने के प्रयास होने लगें। आज के दौर में उत्साहवर्धन करने वालों की अपेक्षा मनोबल तोड़ने वालों की बहुतायत है। ऐसी स्थिति में मन की दृढ़ता ही हमारे काम आती है। इस संसार में असंभव कुछ भी नहीं।

बहुतेरे लोग वांछित लक्ष्य को पाने का प्रयास ही नहीं करते और यह सोचकर बैठ जाते हैं कि ‘मैं ऐसा कैसे कर सकूंगा’! इस संदर्भ में दुष्यंत कुमार की यह पंक्ति बड़ी माकूल जान पड़ती है कि ‘कौन कहता है कि आसमान में सूराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो।’ दरअसल, परिणाम चाहे जो हो, किसी भी दिशा में कुछ न कुछ करने का सिला मिलता ही है।

जीवन में अपने लक्ष्य के विकल्प का होना अत्यंत आवश्यक है। अन्यथा मनचाही चाहत के सर्वथा अपूर्ण रहने पर अवसाद से घिर जाने का अंदेशा बना रहता है। संकल्प का विकल्प नित नई संभावनाओं के द्वार खोलता है। इन दिनों विभिन्न क्षेत्रों में स्वर्णिम भविष्य का मार्ग प्रशस्त करने की अनगिनत नई-नई राहें निकलती दिखाई देती हैं।

जरूरत इस बात की है कि हम समय रहते इसका संज्ञान ले लिया जाए, ताकि मुख्य लक्ष्य से निराश होने पर तत्काल प्रभाव से हम अपनी नई राह का चयन कर सकें। वैसे भी यह जरूरी नहीं होता कि हर किसी के मन की चाहत साकार सिद्ध हो ही जाए। समय का कब कैसा दौर आएगा, इस बारे में पक्के तौर पर सटीक आकलन नहीं किया जा सकता। इसलिए हर एक संभावना पर विचार करना चाहिए।