सुवाक्य, आज के विचार, अनमोल बोल आदि नामों से प्रचलित वाक्य हमारे लिए सदैव औषधि का काम करते रहे हैं। पहले इस तरह के वाक्य बहुत मुश्किल से पढ़ने को मिलते थे। अपने स्कूलों की दीवारों पर इस तरह के वाक्य अक्सर हम पढ़ते थे। उसके बाद इसका धीरे-धीरे विस्तार होता गया। कहीं-कहीं इस तरह के सुवाक्य आज भी पढ़ने को मिल जाते हैं। हालांकि हाल के दिनों में सुवाक्यों की बाढ़-सी दिखने लगी है। लोग मोबाइल पर सुबह की राम-राम के बजाय सुवाक्य डालने लगे हैं। वाट्सएप से जो भी जुड़ा है, उसके सामने से रोज ही सुवाक्यों की पूरी शृंखला गुजरती है।

सुवाक्यों में एक अलग ही प्रकार की सुगंध होती है। उसे हम जैसे-जैसे पढ़ते हैं, उसकी सुगंध उतनी ही फैलती रहती है। कई वाक्य हमें तुरंत ही प्रभावित करते हैं। कई कालांतर में याद आते हैं। कई वाक्यों को हम अपने जीवन में उतारना चाहते हैं। कई वाक्य हमें आंदोलित भी करते हैं। कई बार तो हमें लगता है कि यही तो मेरे साथ हुआ है। काश… मैं इसे पहले समझ जाता। कई वाक्य हमें इस बात के लिए प्रेरित करते हैं कि इस पर तुरंत अमल कर लिया जाए। हम उसे अमल में लाते भी हैं। पर कुछ दिन बाद जिंदगी अपनी पटरी पर लौट आती है। सुवाक्यों की दुनिया बहुत ही छोटी होती है। हम जैसे ही पढ़ते हैं, हमारा मस्तिष्क उससे प्रभावित होता है। हमें लगता है कि इसे तुरंत अमल में लाया जाए, तो हमारा जीवन आसान हो जाएगा। पर वाक्य का असर कुछ ही देर होता है। उसे अमल में लाने के कुछ देर बाद वह कहीं विलीन हो जाता है।

आजकल देश में वाट्सएप पर पढ़े-लिखे और यहां तक कि अनपढ़ लोग भी संदेशों का आदान-प्रदान करने लगे हैं। ऐसा लगता है मानो देश के सभी लोग अति-शिक्षित हो गए हैं। ज्ञान का भंडार खुल गया है। हर कोई ज्ञानी बन गया है। वह एक से एक संदेश देने लगा है। सारे संदेश और उपदेश केवल देने के लिए ही होते हैं, ऐसा मानकर वह दिन भर एक से एक संदेश देने का काम करता रहता है। अगर इन संदेशों का मर्यादा में उपयोग हो, तो यह अपने विचारों की अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है। आजकल इस माध्यम का दुरुपयोग अधिक हो रहा है। अच्छी जानकारी कहीं दबकर रह जाती है, पर समाज में नकारात्मकता फैलाने वाली सामग्री बहुत ही तेजी से फैलने लगी है।

हमारे मोबाइल में विभिन्न तरह के संदेशों की भरमार है। किसी को भी संदेश भेजा जाए, तो उसके पीछे के भाव, उसका अर्थ भी जानना चाहिए। इस तरह के सुवाक्य हमें केवल मोबाइल में ही मिलते हैं, ऐसा नहीं है। सामान्य जीवन में हमें प्रतिदिन कुछ न कुछ सीखने को मिलता है। कई चिंतकों, विचारकों, वक्ताओं, कथाकारों और दैनंदिन जीवन में होने वाले वार्तालापों से भी हमें सीखने के लिए बहुत कुछ प्राप्त होता रहता है। जिसे कुछ सीखना हो, तो वह बच्चों की तुतली वाणी से भी सीख सकता है। कई बार मूक प्राणी भी अपनी हरकतों से बिना कहे हमें बहुत कुछ सिखा देते हैं। सामान्य रूप से हम रोज ही कई संदेशों को ‘डिलीट’ कर देते हैं। इसके बाद भी कुछ संदेशों को हटाते समय ऐसा लगता है कि इसे रख लिया जाए। जिसे सुरक्षित रखा जाता है, वे संदेश संतों, महान व्यक्तियों के होते हैं, जिनसे हम सदैव प्रेरित होते रहते हैं। उसका अनुकरण करने की कोशिश करते हैं।

सुवाक्य कई बार जीवन की दिशा ही बदल देने की शक्ति रखते हैं। कई बार उलाहने भी जीवन को नई रोशनी देने में सहायक होते हैं। उलाहनों को चुनौती मानते हुए जो प्राणप्रण से जुट जाते हैं, वे सफल होकर दूसरों के लिए प्रेरणा बन जाते हैं। आज हमारे सामने जो सुवाक्य आ रहे हैं, उसे अगर ध्यान से पढ़ा जाए, तो ये भी दिन को प्रफुल्लित बनाने का काम कर सकते हैं। कई बार ये सुवाक्य हमें हताशा से भी बाहर निकालते हैं। इनमें एक अलग तरह की सुवास होती है। जैसे-जैसे उसे पढ़ा जाए, वैसे-वैसे उसकी सुगंध हमारे आसपास फैलने लगती है।

पहले कई लोगों के पास एक किताबनुमा नोटबुक हुआ करती थी, जिस पर वे विभिन्न स्थानों, लोगों से प्राप्त सुवाक्यों को लिखकर उसका संग्रह तैयार करते थे। इस तरह के सुवाक्यों का विशाल भंडार है। कुछ लोग तो विख्यात लोगों के सुवाक्यों को अपने नाम से लिखकर अपनों को भेजने लगे हैं। अब दीवारों पर सुवाक्य नहीं दिखते। वाट्सएप की दुनिया में तो सुवाक्यों का भंडार है। लोग अपने-अपने समूहों में सुवाक्यों का आदान-प्रदान करते रहते हैं। कई लोग इसे पढ़ते भी नहीं, तुरंत ही दूसरों को भेज देते हैं।

सुवाक्य तो अपनी जगह ठीक हैं, पर कई लोग इन सुवाक्यों के बीच जहर फैलाने का काम भी करने लगे हैं। लोगों को इससे बचकर रहना होगा, क्योंकि लोगों को बुरी चीजें तुरंत आकर्षित करती हैं। इसलिए जैसे ही इसकी भनक मिले, हमें सचेत हो जाना चाहिए। नहीं तो बहुत देर हो जाएगी। हमारे मोबाइल में भी सुवाक्यों को जमा करने की व्यवस्था है। इसे अगर हम ‘नोटपैड’ पर जमा कर लें, तो कई बार ये हमें हताशा के सागर से निकलने में सहायता करेंगे। हमारी छाया जब हमारे कद से बड़ी हो जाए, तो हमें यह समझ लेना चाहिए कि सूरज डूबने वाला है।