समय के मोल की अहमियत पर हर दौर में विचार होता रहा है। इसकी चिंता हर वक्त गहरी रही है और सभी इसे समझते हैं। मगर जमीन पर होता कुछ और है। समय मूल्यवान है, कीमती है, अनमोल है, अमोल है। यह कभी वापस लौटकर नहीं आता। सब कुछ जानते-बूझते हुए भी क्या हमने कभी सोचा कि हमारे आसपास समय के लुटेरे भी हैं, जो हमारा समय चुरा लेते हैं, हमें जीवन में पीछे धकेल देते हैं। हमें कामयाबी तक पहुंचने नहीं देते। कई बार जब हम कोई महत्त्वपूर्ण काम करना चाहते हैं, तब हमारे पास समय का अभाव होता है।
विफल होने वाला ही जानता है समय का महत्व
जिन्होंने जीवन में विफलता का स्वाद चखा है, वे अच्छी तरह से जानते हैं कि उनका समय कब, कहां, किस तरह और किसने बर्बाद किया है। विफलता के बाद ही हमें याद आता है कि हमारा कितना समय बर्बाद हुआ। सफल वही, जिसने समय को बर्बाद नहीं किया। आज की युवा पीढ़ी इसे बेहतर समझती है। पर समय को चुरा लेने वालों ने न जाने कितने युवाओं को भ्रष्ट भी कर दिया है।
समय को बचाने वाले जीवन संवारते हैं
आशय यही है कि हम सबके जीवन में कभी समय को चुराने वाले तो कहीं समय को बचाने वाले काम करते हैं। समय को बचाने वाले जीवन संवारते हैं। अपने अनुभवों से ही हम इन्हें पहचान सकते हैं, क्योंकि कहने को दोनों में कोई विशेष फर्क नहीं दिखता है। बहुत ही बारीक लकीर इन दोनों को विभाजित करती है। हमने अक्सर देखा होगा कि कुछ लोग कभी-कभी बातचीत में इतने अधिक तल्लीन हो जाते हैं कि उन्हें समय का भान ही नहीं होता। इस बीच वे अपने कई आवश्यक काम नहीं कर पाते। यहां दोनों ही परस्पर समय को गंवाने या चुराने वाले हैं। दोनों ने एक-दूसरे का समय बर्बाद किया।
एक ओर सार्थक बातचीत हमें कुछ सबक देती है, तो दूसरी तरफ निरर्थक बातचीत भी वह सबक देती है कि इस प्रकार की बातचीत में समय लगाना अच्छी बात नहीं है। जहां हमारा समय किसी काम नहीं आ रहा है, न हमारे और न ही किसी अन्य के लिए, तो समझना चाहिए कि वहां समय चुराने वाले काम कर रहे हैं। एक उदाहरण देखा जा सकता है।
सड़क किनारे पानी-पूरी खिलाने वाला कई ग्राहकों को एक साथ पानी-पूरी देता है, उन्हें गिन भी लेता है, साथ-साथ ग्राहकों की पसंद के अनुसार पानी-पूरी तैयार करता है। एक साथ कई काम करने के बाद भी वह खुद को चुस्त-दुरुस्त रखता है। इस दौरान उसके पास समय बचता रहता है। अपने कम समय का वह पूरा उपयोग करता है। कई बार ऐसा होता है कि हम कहीं जा रहे हैं, तो कोई हमसे कहता है कि आगे रास्ता खराब है… आप नहीं जा पाएंगे। उस समय वह हमें समय बर्बाद करने वाले के रूप में दिखाई देता है। अगर आगे जाकर सचमुच ही रास्ता खराब मिलता है, तो वही व्यक्ति हमारे लिए समय बचाने वाला बन जाता है। बस इतना ही फर्क होता है दोनों में।
कभी-कभी किसी काम में हमें आवश्यकता से अधिक समय लगता है। इसका आशय यही है कि वहां समय बर्बाद करने वाला तत्त्व काम कर रहा है। कभी कोई काम आसानी से हो जाता है, तो अनजाने में हमारा समय बचाने वाला पक्ष काम आता है। हम अगर तय कर लें कि इस काम में हमें इससे अधिक समय नहीं देना है, तो हम समय बचाने वाला हो गए। कंप्यूटर पर बैठ कर काम करने वाले अक्सर कई घंटे ईमेल देखने करने और जवाब देने में ही लगा देते हैं। जबकि उससे ज्यादा जरूरी काम उनका इंतजार कर रहे होते हैं। किसी की निंदा कथा, ईर्ष्या कथा आदि समय बर्बाद करने वाले ही हैं।
दूसरी ओर अच्छे विचार सुनना, बच्चों के साथ बच्चा बनकर खेलना और वह काम करना जिसमें हमारी रुचि हो, तो ये सब हमारे समय बचाने वाले हैं। आजकल बच्चों का काफी समय मोबाइल और सोशल मीडिया के अलग-अलग मंचों यानी इंस्टाग्राम, वाट्सएप, फेसबुक वगैरह में जाया होता है। इसे वे अभी नहीं समझ पाएंगे। पर बाद में जब कई काम उनसे नहीं हो पाते, तब समझ में आता है कि उन्होंने कितना समय बर्बाद कर दिया। जो लोग अपना टेबल साफ नहीं रख सकते, समय का चोर उसका सबसे बड़ा दुश्मन होता है। इसे समझने के लिए विद्यार्थी की किताबें-कापियां, कपड़े, थैला आदि देखना ही पर्याप्त है। करीने से रखी हुई हर चीज यह बताती है कि वक्त को बचाने वाला मानस उनके साथ है।
समय बर्बाद करने के कारक हमारे आसपास ही बिखरे होते हैं। जरा ध्यान से देखा जाए, तो समझ में आ जाएगा कि कौन हमारा जीवन संवारने में मददगार है। हर किसी को अपना समय देने की एक सीमा होती है। जो विफल रहे हैं, उनके जीवन में समय चुराने वाले तत्त्व की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है। ये हमें समय को खोना सिखाते हैं, जबकि समय बचाने वाले समय को बोना सिखाते हैं। यह हम पर निर्भर है कि हम किसे अपना दोस्त बनाना चाहते हैं। इससे भी आवश्यक यह है कि हमें इसकी भी जांच और पहचान कर लेनी चाहिए कि कहीं हम ही तो किसी के लिए समय बर्बाद करने वाले नहीं हैं!