कुछ समस्याएं ऐसी होती हैं जिनके बारे में बात करना ठीक माना जाता है और कुछ के बारे में नहीं। अपनी समस्याओं का आनंद लेने के लिए उनको स्वीकार करना जिंदगी को सहज बनाता है। ये समस्याएं जिंदगी का नमक हैं। मीठे के बीच थोड़ा नमकीन है। अगर आप अपनी समस्याओं का आनंद लेना सीख सकते हैं, तो वह आत्मज्ञान है। आपको अपना जीवन स्वीकार करना होगा, चाहे वह कितना भी बेतुका क्यों न हो, और इसमें कुछ आनंद खोजने का प्रयास करना होगा। अगर हम स्वीकार करने से आगे निकल सकें और अपनी समस्याओं का आनंद लेना सीख सकें तो सुख-दुख को सहज भाव से अपना लेंगे। चाहे कैसा भी दिखे, हमारा जीवन जश्न मनाने लायक है। हममें से अधिकांश लोग अपनी समस्याओं को कोसते हुए अपना जीवन बिता देते हैं। लेकिन जीवन वही है, जहां कोई अपने भाग्य को (उसकी सभी अंतर्निहित समस्याओं के साथ), चाहे वे कितनी भी अवास्तविक क्यों न हों, स्वीकार करने का प्रबंधन करता है।
समस्याएं सिर्फ हमारे पास नहीं हैं, सभी के पास हैं किसी न किसी रूप में
तब क्या होगा अगर हमने किसी काल्पनिक गंतव्य पर पहुंचने का इंतजार करना बंद कर दिया है जहां हमारी सभी समस्याएं हल हो जाएंगी, और आज ही अपने जीवन को वैसे ही अपनाना शुरू कर दें जैसा वह है? ऐसा करना शुरुआती दौर में रोमांचक लग सकता है, मगर जल्दी ही ऊब में डूब जाएंगे। ऐसा कहना और सोचना कि दूसरी तरफ की घास हमेशा हरी होती है, खुद को कम आंकने जैसा है। हमें अपनी स्थिति हमेशा बदतर लगती है, क्योंकि हमें ही इससे निपटना पड़ता है। समस्याएं सिर्फ हमारे पास नहीं हैं, सभी के पास हैं किसी न किसी रूप में। कोई इससे खुद निपटा लेता है, किसी को किसी का साथ मिल जा सकता है।
असल दृष्टिकोण उन समस्याओं को अपनाने और उन पर पलटवार करने का है। पीड़ा एक सार्वभौमिक अनुभव होती है। यह विफलता का संकेत नहीं है। यह इस बात का प्रमाण भी नहीं है कि दैवीय शक्तियां हमें दंडित कर रही हैं। यह सोचना जीवन को सीमित करने जैसा है। जीवन अक्सर कठिन ही होता है, पर कई अवसरों पर यह खूबसूरत भी होता है। यह और खूबसूरत तब हो जाता है जब हम यह दिखावा करना बंद कर देते हैं कि यह आसान होना चाहिए। जब हम स्वयं का मूल्यांकन करते हैं, तो चोट पर नमक छिड़कते हैं। यह आत्मावलोकन हमें अपनी सच्चाई और क्षमताओं से परिचित कराता है।
हर किसी की एक कहानी है और हर किसी की कहानी सुनने लायक है
क्या हम याद कर सकते हैं कि आखिरी बार हमने अपने जीवन का सच खुद को कब बताया था? हर किसी की एक कहानी है और हर किसी की कहानी सुनने लायक है। यह केवल हमारे अतीत के बारे में ही सच नहीं है, बल्कि अब जो हो रहा है, उसकी कहानी के बारे में भी सच है, जो हिस्से अभी भी लिखे जा रहे हैं। भावनाओं के पूरे ‘स्पेक्ट्रम’ को अपनाने से हम भावनात्मक रूप से उपलब्ध हो जाते हैं और अन्य लोग हमारी उपस्थिति की गहराई को महसूस कर सकते हैं। इस समझ के साथ दुनिया का आकलन कर सकते हैं कि अन्य लोग भी निश्चित रूप से इस संघर्ष का अनुभव कर रहे हैं। जिंदगी को किसी शोकगीत की तरह नहीं गाना चाहिए। इससे बहुत अधिक आंतरिक उथल-पुथल, भ्रम और शर्मिंदगी हो सकती है। यह हमें खुद से और हमारी वास्तविक भावनाओं से दूर कर सकता है।
समस्याओं से मुक्त जीवन जीने की कोशिश करने के बजाय, ऐसा जीवन जीने का लक्ष्य रखना चाहिए जो हमें आकर्षित करे और सार्थक लगे। जब हम कर सकें, तो उन समस्याओं को चुनें जो चुनौती के लायक लगती हैं और जो समस्याएं आप पर थोपी गई हैं, उन पर अपना दृष्टिकोण बदलने का प्रयास करना चाहिए। किसी दिन हम यह पता लगा लेंगे कि अपनी समस्याओं को कैसे हल करना है और आखिरकार उस स्थान पर पहुंच जाएंगे, जहां हम वास्तव में चीजों का आनंद ले सकते हैं। हम सभी में कभी-कभी एक कठोर आंतरिक आलोचक होता है, लेकिन अपनी समस्याओं का आनंद लेने का मतलब कठिन समय में खुद से प्यार करना है, न कि खुद को कोसना। असली परीक्षा कठिन समय में ही होती है।
अपने संघर्षों से गुजरने से हम और भी मजबूत इंसान बनते हैं और हम सीखते हैं कि हम उनसे निपटने में कितने लचीले, अद्भुत और सक्षम हैं। सितारे तभी दिखाई देते हैं, जब काफी अंधेरा होता है। साधारण चीजों में भी आनंद खोजने से हम अपने जीवन को बहुत अधिक खुशहाल और आसान पाएंगे। शेक्सपियर कह गए हैं- ‘हम जानते हैं कि हम क्या हैं, लेकिन यह नहीं जानते कि हम क्या हो सकते हैं।’ इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम जीवन में कहां हैं। चाहे हम आर्थिक रूप से संघर्ष कर रहे हों, या भावनात्मक रूप से, या हमारे जीवन के किसी अन्य क्षेत्र में समस्याएं हैं। लेकिन सिर्फ इसलिए कि हम अपने जीवन के इस बिंदु पर हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि हम हमेशा वहीं रहेंगे। जब हम जीवन में संघर्ष करते हैं तो यह केवल इस बात का प्रतिबिंब होता है कि हम इस समय कहां हैं, यह इस बात को नहीं दर्शाता कि भविष्य में क्या होगा।