जनसत्ता अखबार के स्तम्भ ‘दुनिया मेरे आगे’ में आज पढ़ें सुभाष चंद्र कुशवाहा के विचार।
भारत में 6.65 लाख गांव हैं, जिनमें 2.68 लाख ग्राम पंचायतें और ग्रामीण स्थानीय निकाय हैं, जो देश के ग्रामीण…
अवकाश के क्षणों में बड़े-बूढ़ों और हमउम्र के साथ समूह में बैठकर हंसी- मजाक कर आनंद लेने के दिन अब…
गांवों की तरक्की के लिए नई योजनाएं बनाई जा रही हैं। प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। किसानों…
लेखक गांव में 50 बीघा क्षेत्र में फिलहाल 12 लेखक कुटीर बनाई गई हैं। हिमालय की तलहटी पर बसा लेखक…
अंग्रेजी का फैशन चल गया है। यह इज्जत का प्रश्न नहीं, ‘स्टेटस सिंबल’ बन गया है।
बचपन में ‘ब्रेड’ का मतलब रोटी पढ़ाया गया था। बाद में पता लगा कि वह ‘पावरोटी’ होना चाहिए था।
हम यह सुनते-सुनते बड़े-बूढ़े हुए हैं कि भारतवर्ष गांवों का देश है।
हर दस में सात हिंदुस्तानी आज भी शहरी नहीं बल्कि ग्रामीण है। देश की यह बड़ी आबादी महामारी जैसी आपदा…
कभी गांवों में त्योहारों की तैयारियां कई सप्ताह पहले से ही शुरू हो जाती थीं और गांव के बच्चे-बूढ़े सभी…
शहरों में भीड़ है, लेकिन हर कोई वहां अकेला है। किसी के पास समय नहीं है। गांव में भीड़ नहीं…