Clay toys, Diwali tradition, potters, clay lamps, folk culture, Indian festivals
दुनिया मेरे आगे: कभी गांवों की गलियों में मिट्टी की खुशबू और खिलौनों की हंसी से सजती थी दिवाली, अब प्लास्टिक की चमक में खो गई परंपरा?

जनसत्ता अखबार के स्तम्भ ‘दुनिया मेरे आगे’ में आज पढ़ें सुभाष चंद्र कुशवाहा के विचार।

rural development
Blog: देशभर के गांवों में हर चौथा व्यक्ति अभी भी अशिक्षित, ग्रामीण विकास को रफ्तार देती पंचायतें

भारत में 6.65 लाख गांव हैं, जिनमें 2.68 लाख ग्राम पंचायतें और ग्रामीण स्थानीय निकाय हैं, जो देश के ग्रामीण…

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दुनिया मेरे आगे: गांव की चौपाल से शहर की चाट तक- क्या फिर लौटेंगे सुकून भरे गर्मी के दिन?

अवकाश के क्षणों में बड़े-बूढ़ों और हमउम्र के साथ समूह में बैठकर हंसी- मजाक कर आनंद लेने के दिन अब…

new city
Blog: नए शहर बसाने में लगी सरकारें दूसरी ओर गांवों से पलायन रोकने पर भी जोर, विदेशों में स्थिति उलट

गांवों की तरक्की के लिए नई योजनाएं बनाई जा रही हैं। प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। किसानों…

India first writer village Thano, writer village
उत्तराखंड का थानो बना भारत का पहला लेखक गांव, कई वीवीआईपी का लगा जमावड़ा

लेखक गांव में 50 बीघा क्षेत्र में फिलहाल 12 लेखक कुटीर बनाई गई हैं। हिमालय की तलहटी पर बसा लेखक…

आज भी खरे हैं गांव; मिट्टी की खुशबू, परंपरा, श्रम, स्वावलंबन व अपनेपन को देखना, महसूस करना हो तो गांव चलें

शहरों में भीड़ है, लेकिन हर कोई वहां अकेला है। किसी के पास समय नहीं है। गांव में भीड़ नहीं…

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