
शाम की बहसों में ‘आग’ सुलगती रही, जिसे कुछ एंकर बुझाते रहे। कुछ ‘अर्थविज्ञानी’ कहते रहे कि ‘जलाने’ नहीं, ‘जलेगा’…
एक विशेषज्ञ ने कहा कि जो लोग ऐसा कह रहे हैं कि जो वहां हुआ, वह यहां भी हो सकता…
एक दिन ‘आर्थिक सर्वे’ आया और अगले दिन ‘बजट’ आया। तब से लेकर अब तक बजट पर ‘चखचख’ जारी है।…
यह अपनी-अपनी चुनी हुई चुप्पियों का जनतंत्र है! अपना शिकार हो तो रोओ, दूसरे का हो तो चुप लगाओ! फिर…
चैनल दर चैनल मृतकों और घायलों के परिवारजनों के बयानों को दिखाते रहे, लेकिन हा हंत! उनमें से भी अधिकांश…
बहुत दिन बाद विपक्ष को अपना नेता मिला। फिर विपक्ष का नेता चुने जाने के बाद राहुल गांधी का प्रधानमंत्री…
शिक्षा मंत्री ने संवाददाता सम्मेलन के जरिए आग बुझाने की कोशिश की कि छात्रों की चिंता सर्वोपरि, दोषियों का बख्शा…
लगता है कि आम आदमी पार्टी ने गिरफ्तारी से पहले ही तैयारी कर ली थी कि बाद में कैसे क्या…
एक चैनल बांड के लाभार्थी दलों के बारे में बताता रहा कि सबसे अधिक भाजपा को मिला। नंबर दो पर…
इन चुनावों में ‘रेवड़ियों’ की बहार है। एक कह रहे हैं कि हर महिला को साल में पंद्रह हजार रुपए…
इस तरह संसद में एक ‘इतिहास’ बना : कुल 456 सांसदों में से 454 ने बिल के पक्ष में वोट…
अपने यहां एक लोकतंत्र को बचाने के लिए दूसरे के लोकतंत्र को कूटना पड़ता है, तभी वह बचता है। लोकतंत्र…