
बदलती हुई दुनिया में इसकी नई चकाचौंध में जीवन का मिजाज और उसका आचार-व्यवहार जिस तेजी से बदल रहा है,…
भारत में ग्रामीण मेलों का सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक महत्त्व है।
जब हमारे अंदर निंदा करने की प्रवृत्ति पैदा हो जाती है तो हमारा संयम समाप्त हो जाता है और हम…
बच्चों को समाज और परिवार की साझी जिम्मेदारी समझने वाले हमारे देश में भी बाल यौन शोषण के आंकड़े डराने…
वैसे तो सुबह-सुबह वाट्सएप पर कई तरह के संदेश आते रहते हैं। सुबह की राम-राम और राधे-राधे से लेकर उपदेशात्मक…
अपने बारे में हम जितनी धारणाएं और छवियां निर्मित करते हैं, वे वास्तव में हमारी अपनी व्यक्तिगत पहचान या स्वतंत्र…
लोक की पूरी बनावट लयदार है। यहां न तो कुछ कर्कश है और न ही कुछ तुच्छ।
इस दौर में संबंधों का अंत, भावनाओं का अंत तथा परिवार के अंत की चर्चा भी कुछ समाज-वैज्ञानिक करने लगे…
समाज का ढांचा बहुत संगठित होता है। इसमें छोटे बच्चों से लेकर बड़े बुजुर्ग तक विभिन्न आयु वर्ग के सदस्य…
एक सभ्य समाज में नफरत, हिंसा और भ्रामक सूचनाओं की कोई जगह नहीं होती।
कुछ दिनों पहले की बात है। शाम का वक्त था। घर आए कुछ मेहमानों के साथ चाय पर इधर-उधर की…