Yogeshwar Nath Mishra | Nasa Scientist | Fastest Imaging technology
यूपी के आजमगढ़ से NASA तक का सफर, योगेश्वर नाथ मिश्रा ने बनाई दुनिया की सबसे फास्ट लेज़र इमेज टेक्नोलॉजी

Indian Scientist in Nasa: भारतीय वैज्ञानिक योगेश्वर नाथ मिश्रा ने दुनिया की सबसे फास्ट इमेजिंग टेक्नोलॉजी को विकसित किया है।

Advice, Counselling
बाहर भीतर पानी

आजकल विज्ञान की खोजों को आध्यात्मिक विचारों से जोड़ कर मानव जीवन के रहस्यों को समझने-सुलझाने का प्रयास किया जाता…

zombie virus| new virus discovered| corona virus
Zombie Virus: रूस में वैज्ञानिकों ने 48,500 साल पुराने जॉम्बी वायरस को किया जिंदा, बड़े खतरे की आशंका

Zombie Virus Revived: वैज्ञानिकों का कहना है कि ‘जॉम्बी वायरस’ में अधिक संक्रामक होने की क्षमता है इसीलिए यह लोगों…

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KVPY: किशोर वैज्ञानिक प्रोत्साहन योजना के तहत अब नहीं मिलेगी फेलोशिप, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने बंद की स्कीम

इस प्रोग्राम को अब इनोवेशन इन साइंस परस्यूट फॉर इंस्पायर्ड रिसर्च (INSPIRE) प्रोग्राम में शामिल कर लिया गया है।

सत्येंद्रनाथ बोस की थियरी पर कायल हो गए थे अल्बर्ट आइंस्‍टाइन, इन्हीं के नाम पर रखा गया था ‘बोसॉन’ पार्टिकल

Satyendra Nath Bose का जन्म 1 जनवरी 1894 को हुआ था। उन्हें 1920 के दशक में उनके द्वारा क्वांटम मैकेनिक्स…

Scientists, new form of ice, Jupiter, solar system, Students
वैज्ञानिकों ने खोजी एकदम अलग तरीके की बर्फ, ये धरती पर मिलने वाली आइस जैसी नहीं है, जानें New Form of ICE के बारे में सबकुछ

वैज्ञानिकों ने एक ऐसी बर्फ की खोज की है, जो धरती पर मिलने वाली आइस से एकदम अलग दिखती है।

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IISc में 900 करोड़ की लागत से बनेगा अस्पताल, अकेले इस परिवार ने दान कर दिए 425 करोड़ रुपए

IISc के बेंगलुरु परिसर में 900 करोड़ रुपए की लागत से एक मल्टी-स्पेशलिटी अस्पताल बनेगा। इस मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल के…

Science, Research
भारतीय शोधकर्ताओं ने विकसित की पारदर्शी सेरेमिक; हेलमेट, फेस शील्ड्स और गॉगल्स को और बेहतर बनाने में मिलेगा फायदा

भारत में पारदर्शी सेरेमिक्स बनाने के प्रयास काफी समय से चल रहे थे, किंतु वे या तो प्रयोगशाला तक ही…

Research. Shark Fish
जैसलमेर से मिले दुर्लभ प्रजाति के शार्क के साक्ष्य, 6.5 करोड़ साल पहले हो गई थी विलुप्त; भारतीय उपमहाद्वीप में पहली बार हुई पहचान

इस खोज को क्षेत्र में जुरासिक कशेरुकी जीवाश्मों के अध्ययन में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जा रहा है।

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