मानव सेवा से जो सुख मिलता है, वह गहरा और सच्चा होता है, जिससे हमें मानसिक शांति भी मिलती है।
आज सबसे बड़ी समस्या है कि हम सह अस्तित्व की बात तो करते हैं, लेकिन उस पर अमल नहीं करते।
मनुष्य के रूप में हम एक दूसरे के साथ जुड़ने और भरोसा करने के लिए ही बने हैं।
हम आधुनिकता के चक्रव्यूह में फंसकर अपने रिश्तों, मर्यादाओं और नैतिक दायित्वों को भूल रहे हैं।
खुशियां चंदन की तरह दूसरों के माथे पर सजाई जाएं तो अपनी अंगुलियां महक उठेंगी।
दूसरों के साथ हमारे अच्छे संबंध यह बताते हैं कि हम कितने मानवीय हैं।
दुख और सुख के झूले झूलते इस संसार में हर व्यक्ति किसी न किसी दुख से दुखी है।
एक सामाजिक प्राणी होने के नाते संवाद हमारी जरूरत है।
सांसारिक सुविधाओं का अभाव इतना बड़ा कारण नहीं कि जिसके लिए दुखी हुआ जाए।
तूफान आता है तो जनजीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है।
अमूमन हमारी पूरी दिनचर्या का संबंध हमारी भावनाओं के साथ जुड़ा होता है।