
दुनिया को यह बता रही है ये मेरा अंश है और उद्घाटित कर रही इस सत्य को वह नदी नहीं…
जल्द से जल्द किसी चीज को सीखने-जानने की इच्छा ही मनुष्य को अन्य प्राणियों से अलग बनाती है।
नस्लवाद और उपनिवेशवाद भले ही कुछ खास कालखंड तक सीमित रहता हो, लेकिन उसका दंश समाज को लंबे समय तक…
लेखक श्याम बिहारी श्यामल की नई पुस्तक ‘कंथा’ ‘कामायनी’ जैसी अमर कृति के कवि जयशंकर प्रसाद की जीवन-कथा को पहली…
मिखाइल बाख्तिन अपने ‘संवादवाद’ के सिद्धांत के जरिए यह रेखांकित करते हैं कि सभी कृतियां दूसरी कृतियों के साथ खुला…
अंबर्तो ईको खुले पाठ को एक अवधारणा की तरह विकसित करने में अग्रणी हैं।
कथा, नाटक, काव्य, जीवनी, निबंध आदि के परंपरागत राजमार्ग पर चलने का मतलब है कि इन विधाओं में अभी तक…
रचना और आलोचना का संबंध और विकास साहित्य की एक ऐसी विकासयात्रा है, जिसमें समय और सरोकार का हस्तक्षेप उत्तरोतर…
परसाई के जीवन की यह त्रासदी रही कि आर्थिक परेशानी से वे आजीवन जूझते रहे। इस अभाव ने जहां उन्हें…
सृजन और संवेदना के बीच रचनात्मकता के कई बहुमूल्य प्रयोग करने वाले मास्ति का साहित्यिक नाम ‘श्रीनिवास’ है और इसी…
कविता को प्रदूषण फैलाने वाले तत्वों से मुक्त करने की जरूरत है। नकारात्मक विचारों या निराशावादी भावनाओं, जैसे, अंधविश्वास, क्रूरता,…
लगभग दो दशक पहले सफर के दौरान एक गांव के पास हमें ‘मिल्की वे’ दिखा था और ‘एयर ग्लो’ के…