आमतौर पर तथाकथित बाबाओं के सत्संग में गरीब और कम पढ़े-लिखे लोग जाते हैं। यही बात नेताओं की सभाओं पर…
इस ‘रामपाल कांड’ ने देश और उसके विचारवान लोगों के सामने कुछ सवाल खड़े कर दिए हैं। पहला सवाल राष्ट्र…
पिछले दिनों तथाकथित संत रामपाल के आश्रम में जो कुछ हुआ वह बहुत शर्मनाक है, इससे पहले आसाराम बापू और…
उमाशंकर सिंह का ‘ध्यान भटकाने का मंत्र’ (4 अक्तूबर) और ब्रजेश कानूनगो का ‘सुनो कहानी’ (4 नवंबर), ये दोनों लेख…
बीरेंद्र सिंह रावत की टिप्पणी ‘आस्था की मुसीबत’ (समांतर, 7 नवंबर) पढ़ा। दिल्ली महानगर में लगता है कि आस्था जी…
जब भी सरकारें बदलती हैं तब नई सरकारें यह दिखाने की कोशिश करती हैं कि वे जो करेंगी वह एकदम…
हिंदी प्रचार-प्रसार संबंधी कई राष्ट्रीय संगोष्ठियों में मुझे शामिल होने का सुअवसर मिला है। इन संगोष्ठियों में अक्सर यह सवाल…
जनसत्ता 17 नवंबर, 2014: महाराष्ट्र की अल्पमत सरकार का ढोंग पूरे देश के सामने आ गया। ‘गुड़ खाए और गुलगुले…