‘अहा टमाटर बड़ा मजेदार आहा टमाटर बड़ा मजेदार’, ये हिंदी कविता बच्चों को खूब पंसद आ रही है। ये कविता…
दुनिया को यह बता रही है ये मेरा अंश है और उद्घाटित कर रही इस सत्य को वह नदी नहीं…
मैं आऊंगा- किसी मंदिर की सीढ़ियों पर फिर मिलूंगा तुमसे, गुलाब की पंखुड़ियों की तरह
यहां पढ़ें संजय स्वतंत्र की नई कविता।
यहां पढ़िए सांत्वना श्रीकांत की दो लघु कविताएं।
जैसे वह यह क्या है, किस पहर का असर यह, कि यों उदास हुई जाती हूं, बस उदास, ऐसी कैसी…