Dunia Mere Aage, Jansatta Online
दुनिया मेरे आगे: विकसित राष्ट्र बनाने के लिए साक्षरता अभियानों को करना चाहिए तेज, 21वीं सदी में पढ़ाई अक्षरज्ञान तक सीमित नहीं

विकास में साक्षरता को सबसे महत्त्वपूर्ण आधार माना गया है। यह एक ऐसा उपकरण है जो व्यक्ति को केवल ज्ञान…

women girl education
Blog: शिक्षा में महिलाओं की हिस्सेदारी कम होने की बड़ी वजह है गरीबी की समस्या, प्राथमिक शिक्षा हासिल करने से ही रह जाती हैं कोसों दूर

प्राथमिक शिक्षा तक पहुंच का अभाव लड़कियों को शैक्षिक लाभों, समान अवसरों और सर्वांगीण विकास से वंचित करता है। जिन…

Indian hockey team
संपादकीय: भारतीय टीम ने दमखम से किया प्रदर्शन, अतीत की यादें हो गईं ताजा

रविवार को एशिया कप का फाइनल मैच भारत और दक्षिण कोरिया के बीच खेला गया। यों दक्षिण कोरिया को भी…

GST tax
संपादकीय: जीएसटी की दरों में कटौती से लोगों को मिलेगी राहत, अमेरिकी टैरिफ का प्रभाव होगा कम

जीएसटी में बदलाव से भोजन तैयार करने की लागत पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा, इसलिए उपभोक्ताओं पर शुल्क का अतिरिक्त…

Vice President candidate
फ्री हाउस से लेकर मुफ्त यात्राओं तक; उपराष्ट्रपति को क्या-क्या मिलता है?

उपराष्ट्रपति को कई सुविधाएं और भत्ते मिलते हैं, जैसे नि:शुल्क आवास, चिकित्सा देखभाल, रेल और हवाई यात्रा, लैंडलाइन कनेक्शन, मोबाइल…

grave
रिपोर्ट: कश्मीर में 90 फीसदी से अधिक सामूहिक कब्रें आतंकियों की, नए अध्ययन में सामने आई जानकारी

रपट में बताया गया कि इनमें से कई कब्रों की पहचान सामुदायिक साक्ष्यों और परिवार की मंजूरी मिलने के बाद…

Duniya mere aage
दुनिया मेरे आगे: विकास की कहानियां प्रदर्शित करती दिखती हैं झांकियां, दुनिया को कूटनीति के तहत अपनी ताकत से परिचित कराना

जनसत्ता अखबार के स्तम्भ ‘दुनिया मेरे आगे’ में आज पढ़ें विप्रम के विचार।

drains along roads
संपादकीय: अधिकारी क्यों नहीं होते सजग और संवेदनशील? लापरवाही की वजह से तीन वर्ष के बच्चे की हो गई मौत

किसी भी निर्माण स्थल पर सुरक्षा सुनिश्चित किए जाने के बुनियादी पहलू को लेकर वहां मौजूद अधिकारी सजग और संवेदनशील…

Parliament
संपादकीय: बिहार, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और दिल्ली समेत कई राज्यों में 60 फीसदी से ज्यादा मंत्रियों पर आपराधिक मामले

सबसे महत्त्वपूर्ण सवाल यह है कि दागदार नेताओं को संसद या विधानसभा में भेजने और सरकार का हिस्सा बनाने का…

Satirist Sudhish Pachauri's column Baakhabar, व्यंग्यकार सुधीश पचौरी का कॉलम बाख़बर
गाली, विवाद और राजनीति, लोकतंत्र कैसे बन गया ‘ओटीटी सीरीज’; सुधीश पचौरी का तीखा विश्लेषण

राजनीति और सार्वजनिक बहसों में गालियों की संस्कृति फैल रही है। अदालत, साहित्य समारोह और जीएसटी पर बहस में भी…

Indian politics decline, political culture India, Atal Bihari Vajpayee friendship
गाली से राजनीति चमक रही है या लोकतंत्र डूब रहा है? राकेश सिन्हा पूछते हैं – आखिर कहां जा रहे हैं हम?

राकेश सिन्हा ने भारतीय राजनीति में गिरते स्तर पर सवाल उठाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की मां को गाली…

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