
हमें बताया जाता है कि देश जागरूकता और विकास की राह पर लौट गया है।
दूसरों के साथ हमारे अच्छे संबंध यह बताते हैं कि हम कितने मानवीय हैं।
भारत प्लास्टिक प्रदूषण फैलाने के मामले में दुनिया के बीस शीर्ष देशों में शुमार है।
हिंसा की इस बढ़ती प्रवृत्ति के पीछे सामाजिक परिवेश भी एक बड़ा कारण है।
कुछ समय पहले दिल्ली में करीब आधा किलोमीटर लंबी सड़क के किनारे कतार में अमलतास के नन्हे-पीले-सुनहरे फूल शोभायमान दिखे।
दुख और सुख के झूले झूलते इस संसार में हर व्यक्ति किसी न किसी दुख से दुखी है।
एक सामाजिक प्राणी होने के नाते संवाद हमारी जरूरत है।
सांसारिक सुविधाओं का अभाव इतना बड़ा कारण नहीं कि जिसके लिए दुखी हुआ जाए।
विकास हमारी नींव मजबूत करता है, जिस पर भविष्य के सार्थक सपने फलते-फूलते हैं।
जैसे-जैसे हम भौतिकवादी होते जा रहे हैं वैसे-वैसे अपने मूल चरित्र से भी दूर होते जा रहे हैं।
बेहतर अंक आना खराब बात नहीं है, पर यह भी महत्त्वपूर्ण है कि अंक कैसे-कैसे करके आए हैं और क्या…
एक श्रेष्ठ व्यक्ति अपनी गलती का एहसास होते ही क्षमा मांग लेता है या किसी दूसरे से भूलवश गलती हो…