उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को जीतने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव प्रचार और रैलियों की जिम्मेदारी अपने हाथ में ले ली थी। शुरुआत में लोगों का उत्साह कम देखकर उनका अपना अभियान दोबारा से बनवाया था। समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, दो केंद्रीय मंत्रियों और कैंपेन मैनेजर्स को पीएम मोदी ने कहा था, ”हमारा चुनाव प्रचार ठहर गया है।” उन्होंने यह बात छठे चरण के मतदान से ठीक पहले कहा था। रॉयटर्स ने उस बैठक में मौजूद रहे पीएम मोदी के करीबी के हवाले से लिखा है, ”मैं नहीं चाहता कि ऐसा हो कि बाद में मैं कहूं कि खुद को और ज्यादा झोंक सकता था।” मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में लगातार तीन दिन तक प्रचार किया। वहां पर उन्होंने तीन रोड शो और तीन रैलियां की। इस प्रचार के दौरान उन्हें चेताया भी गया कि इस तरह से प्रचार उनके कद को शोभा नहीं देता। लेकिन पीएम अपनी बात पर अड़े रहे।
उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य ने बताया, ”हम इस बात को लेकर नर्वस थे कि अंतिम चरण में पीएम मोदी से हद से ज्यादा प्रचार कराने से कहीं ऐसा ना लगे कि हम निराश हैं। मोदी के जादू ने विपक्ष को तबाह कर दिया और पार्टी में शक जताने वालों को भी चुप कर दिया।” बता दें कि यूपी विधानसभा चुनाव के नतीजों में भाजपा ने रिकॉर्डतोड़ 312 सीटें अकेले जीती है। उसके साथी दलों ने भी 13 सीटें जीत ली है। इस तरह से उसने 403 में से 325 सीटों पर कब्जा किया है। 1977 के बाद पहली बार ऐसा हुआ है जब किसी राजनीतिक दल ने अपने दम पर 300 से ज्यादा सीटें जीती हैं। भाजपा ने इस तरह से साल 2014 के लोकसभा चुनावों के अपने प्रदर्शन को दोहराया है। उसका वोट शेयर भी 2014 के बराबर सा ही रहा है। विधानसभा चुनावों में उसे 39.7 प्रतिशत वोट मिले हैं।
यूपी की जीत के बाद अर्थशास्त्रियों ने उम्मीद जताई है कि पीएम मोदी अब अर्थव्यवस्था को लेकर सुधार भरे कदम उठाएंगे। इसके तहत रियल एस्टेट, सोने की खरीद को लेकर कड़े कदमों की उम्मीद की जा सकती है। सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च के राजीव कुमार ने बताया, ”नौकरियां सबसे बड़ा जोखिम है। इस क्षेत्र में उन्हें काफी ध्यान देना होगा और इसके लिए नोटबंदी जैसे कड़े कदम की जरुरत होगी।” पांच राज्यों के नतीजों के बाद भाजपा देश के लगभग 60 प्रतिशत हिस्से पर सत्ता में काबिज है।