पाकिस्तान के इस्लामिक संगठन ‘द काउंसिल ऑफ इस्लामिक आइडियॉलजी’ ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए एक विवादास्पद विधेयक पेश किया है। इसमें कहा गया है कि अगर पत्नियां, पति की बात नहीं मानती हैं तो पति उनकी थोड़ी सी पिटाई कर सकते हैं। 163 पन्नों के इस विधेयक में महिलाओं पर कई प्रतिबंध प्रस्तावित किए गए हैं। इसमें कहा गया है कि अगर पत्नी, पति की बात नहीं मानती, उसकी मर्जी के मुताबिक कपड़े नहीं पहनती है और शारीरिक संबंध बनाने से इंकार करती है तो पति थोड़ा सा पीट सकता है।

इसके साथ ही इसमें हिजाब ना पहनने वाली, अजनबियों से बात करने वाली, तेज आवाज में बोलने वाली और पति की इजाजत के बिना लोगों की आर्थिक सहायता करने वाली महिलाओं को भी पीटने की इजाजत देने की बात की है।

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साथ ही कहा गया है कि महिला नर्सों को पुरुष रोगियों की देखभाल की इजाजत नहीं मिलनी चाहिए और महिलाओं को विज्ञापनों में काम करने से प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। इसने यह भी सिफारिश की है कि गर्भधारण करने के 120 दिनों बाद गर्भपात को हत्या घोषित किया जाए। हालांकि, इसने कहा है कि महिला राजनीति में उतर सकती है और माता पिता की इजाजत के बगैर निकाह कर सकती है। यदि किसी गैर मुस्लिम महिला का जबरन धर्म परिवर्तन कराया जाता है तो यह कराने वाले व्यक्ति को तीन साल की कैद हो।

पंजाब प्रांत की महिलाओं के खिलाफ हिंसक गतिविधि संरक्षण विधेयक (पीपीडब्ल्यूए) 2015 को गैर इस्लामी बताते हुए काउंसिल द्वारा खारिज किए जाने के बाद विवादास्पद वैकल्पिक विधेयक तैयार किया गया है।

बता दें कि इस संस्था को सरकार का समर्थन हासिल है। सीआईआई को पाकिस्तान में संवैधानिक दर्जा भी मिला हुआ है। यह संसद को इस्लाम के मुताबिक कानून बनाने के लिए प्रस्ताव देने का काम करती है। इस विधेयक के बारे में भी सीआईआई की तरफ से यही कहा गया है कि उसने शरिया कानून के मुताबिक महिलाओं को मिलने वाले सारे अधिकार इस विधेयक में भी दिए हैं।