किसानों को सरकार ने बड़ी राहत दी है। 16 महीने के इंतजार के बाद इन किसानों को Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana के बकाए का पेमेंट किया गया है। इस योजना के तहत 49 लाख से अधिक किसानों को कुल 7,618 करोड़ रुपये दिए गए हैं। PMFBY के आंकड़ों के अनुसार, 2020-21 में 7,129 करोड़ सकल प्रीमियम में किसानों की हिस्सेदारी 897.06 करोड़ थी, जबकि केंद्र और राज्यों को 3,115.97 करोड़ दिए गए हैं।
मध्य प्रदेश सरकार ने इन किसानों को 2020-21 सत्र के दौरान एकत्र किए गए 7,129 करोड़ के सकल प्रीमियम का 107% पेमेंट किया है। जो राज्य सरकार के लिए फायदेमंद है क्योंकि वित्तीय बोझ कृषि बीमा कंपनी (एआईसी) पर बढ़ेगा। इसी के मद्देनजर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार को बैतूल में फसल नुकसान झेलने वाले किसानों के खाते में पैसे का भुगतान करते हुए कहा कि पिछले पांच वर्ष के दौरान 4.43 करोड़ किसानों को पंजीकृत किया गया है। वहीं 2019-20 तक 73.69 लाख किसानों को 16,750 करोड़ की कुल दावा राशि दी गई है।
पिछले सत्र के दौरान कितना किया गया था भुगतान
मध्य प्रदेश में 2019-20 में 157% दावा प्रीमियम दिया गया था। खरीफ में 213 प्रतिशत और रबी में 54% यानी लगभग 26 लाख किसानों को कुल 5,812 करोड़ रुपये के दावे प्राप्त हुए थे। इस सत्र के दौरान राज्य में सोयाबीन किसानों को 2019 और 2020 दोनों में भारी बारिश के कारण फसल का नुकसान हुआ था।
बीमा कंपनी इस फॉमूले के तहत करती है भुगतान
मध्य प्रदेश ने एआईसी के संभावित नुकसान को सीमित करते हुए, 2020-21 के खरीफ और रबी दोनों मौसमों में 80:110 की योजना लागू की थी। जिसमें एआईसी को सकल प्रीमियम के 110 प्रतिशत से अधिक के दावों का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं है, और राज्य उस स्तर से ऊपर की जिम्मेदारी लेता है। जब दावे 80% से कम हो जाते हैं, तो बीमाकर्ता प्रीमियम का न्यूनतम 20% रखेगा और शेष को इस फॉर्मूले के तहत राज्य सरकार को वापस कर देगा। 80 और 110 प्रतिशत के बीच दावों के मामले में, राज्य न तो भुगतान करता है और न ही धनवापसी प्राप्त करता है।
और अधिक हो सकता है दावा
विशेषज्ञों की माने तो 2020-21 के लिए पश्चिम एमपी के 30 जिलों में सामान्य से 12% अधिक बारिश हुई, जिससे अधिक फसलों का नुकसान हुआ है। इसे लेकर दावा अभी और अधिक हो सकता है। बता दें कि 2020 के मानसून सीजन (जून-सितंबर) के दौरान इंदौर में जहां सामान्य से 46 फीसदी ज्यादा बारिश हुई, वहीं भोपाल, रायसेन और झाबुआ में सामान्य से 30 फीसदी ज्यादा, देवास में 53 फीसदी ज्यादा, सीहोर में 37 फीसदी ज्यादा और छिंदवाड़ा में 36 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है।