प्रधानमंत्री गरीब कल्‍याण अन्‍न योजना के तहत भारतीयों को हर महीने 5 किलो अनाज फ्री में दिया जा रहा है, जो सितंबर के अंत तक समाप्‍त हो जाएगी। हालांकि गरीब कल्‍याण योजना को केंद्र सरकार जल्‍द बढ़ा भी सकती है। अभी 80 करोड़ लोगों को इस योजना के तहत 5 किलो गेहूं या चावल दिया जा रहा है, जिसकी लागत करीब 44 बिलियन डॉलर है।

मोदी सरकार कोरोना वायरस महामारी के दौरान अप्रैल 2020 से हर महीने करीब 1.5 ट्रिलियन रुपये फ्री राशन देने पर खर्च कर रही है। इस योजना को महामारी के दौरान अनाज सब्सिडी के रूप मे शुरू किया गया था। वित्त मंत्रालय इस योजना को आगे बढ़ाने के पक्ष में नहीं है, क्‍योंकि यह बजट पर इसका दबाव अधिक है।

हालांकि इसे बढ़ाने का अंतिम निर्णय पीएमओ की ओर से लिया जाएगा, जो अन्य विकल्पों जैसे कि त्योहारी सीजन और स्थानीय चुनाव चलने तक कम से कम एक और तिमाही के लिए मुफ्त रखना पर विचार कर रहा है। ऐसे में सरकार इस फ्री राशन योजना को आगे बढ़ा सकती है।

मोदी एक असामान्य स्थिति का सामना कर रहे हैं; दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक में लाखों लोगों की दुर्दशा को कम करने के लिए मुफ्त भोजन सौंपना, उच्च बेरोजगारी, आय असमानता और लोकलुभावन राजनीति से घिरे भारत के लाभों को फैलाने में सरकार के संघर्ष को उजागर करना।

मोदी के लिए भोजन कार्यक्रम को रोकना आसान विकल्प नहीं होगा। उनकी भारतीय जनता पार्टी हिमाचल प्रदेश के साथ-साथ मोदी के गृह राज्य गुजरात में सत्ता बनाए रखने की कोशिश कर रही है, जहां इस साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने हैं।

सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज, नई दिल्ली के प्रोफेसर संजय कुमार के अनुसार, अगर आप इन्हें रोकते हैं, तो इसका निश्चित रूप से लोगों की मतदान वरीयताओं पर कुछ गलत प्रभाव होगा। उन्‍होंने कहा कि मुफ्त राशन पाने वाले लोगों की एक बड़ी संख्या ने इस साल की शुरुआत में देश के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में भाजपा के लिए मतदान किया है।

वहीं इस साल भारत को गेहूं और चावल के निर्यात को प्रतिबंधित करना पड़ा है क्योंकि अनिश्चित मौसम के कारण फसल को नुकसान हुआ है और फ्री अनाज का लाभ भी दिया जा रहा है, जिससे खाद्य कीमतों पर दबाव बढ़ रहा है और वैश्विक कृषि बाजारों में हलचल तेज हुई है।