प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि (PM SVANidhi) सड़क किनारे रेहड़ी-पटरी, ठेला-खोमचे व गुमटी आदि लगाने वाले लोगों को केंद्र सरकार की ओर से मुहैया कराई जाने वाली एक किस्म की माइक्रो क्रेडिट सुविधा है। सरकार इसके तहत कम ब्याज दर पर 10 हजार रुपए तक के काम करने लायक लोन मुहैया कराती है। खास बात है कि इस लोन के लिए किसी तरह के गारंटी की जरूरत नहीं पड़ती है और वक्त से पहले कर्जा चुका देने पर सात फीसदी की ब्जाय सब्सिडी भी मिलती है।

स्ट्रीट वेंडर्स इसके तहत डिजिटल लेन-देन पर जोर देते हैं तब उन्हें प्रोत्साहन के रूप में कैशबैक भी मिलता है। साथ ही अगर पहले वाले लोन को वे समय पर चुकता कर देते हैं, तब वे अधिक ऋण के लिए पात्र हो जाते हैं। इस स्कीम के तहत शहरों में फेरी लगाने वाले पथ विक्रेता शामिल हैं, जो 24 मार्च 2020 या उससे पहले से इस काम में लगे थे। इनमें शहरी क्षेत्रों के इर्द-गिर्द और ग्रामीण इलाकों से आए विक्रेता भी हैं।

इस स्कीम का कार्यकाल मार्च, 2022 तक होगा। इसके तहत अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, लघु वित्त बैंक, सहकारी बैंक, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां, सूक्ष्म-वित्त संस्थाएं और एसएचजी बैंक शामिल हैं।

योजना की आधिकारिक वेबसाइट (pmsvanidhi.mohua.gov.in) पर उपलब्ध डेटा के मुताबिक, इस योजना के तहत कुल 29,26,790 लोगों को फर्स्ट टर्म लोन, जबकि 27,536 को सेकेंड टर्म लोन दिया जा चुका है। इस लोन के आवेदन के लिए सबसे पहले इससे जुड़ी जरूरी बातें (पात्रता, नियम व शर्तें) आदि जानना जरूरी है। फिर आपका मोबाइल नंबर आधार से लिंक होना जरूरी है।

योजना के तहत रजिस्टर होने या जुड़ने के बाद लाभार्थी पता भी कर सकते हैं कि वे सर्वेक्षण सूची में हैं या नहीं। इसके लिए पीएम स्वनिधि की वेबसाइट पर जाकर यह जानकारी हासिल की जा सकती है। वहीं, ब्याज पर जो सब्सिडी मिलती है, उसकी रकम सीधे बैंक खाते में त्रैमासिक आधार पर जमा कर जाती है। वक्त से पहले पेमेंट पर सब्सिडी की स्वीकार्य रकम एक बार में जमा कर दी जाती है। 10 हजार रुपए के लोन के लिए अगर व्यक्ति समय पर सारी 12 ईएमआई (किस्त) भर देता है, तब ब्याज सब्सिडी राशि के तौर पर लगभग 400 रुपए हासिल होते हैं।

कौन होते हैं स्ट्रीट वेंडर्स?: रोज के सामान या सेवाएं अस्थाई स्टॉल के जरिए या घूम-फिरकर फेरी की मदद से मुहैया कराने वाले व्यक्ति स्ट्रीट वेंडर्स कहलाते हैं। फल-सब्जी, खाने-पीने के आइटम, चाय-पकौड़े, ब्रेड, अंडा, कपड़े, दस्तकारी उत्पाद, किताबें आदि बेचने वाले इनमें शामिल हैं। बाल काटने वाले, जूता-चप्पल सिलने वाले, पान लगाने वाले और कपड़े प्रेस करने वाले भी इनमें गिने जाते हैं।