प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (PM-Kisan Samman Nidhi Scheme) का लाभ पाने के चक्कर में गलत जानकारी देना भारी पड़ सकता है। अगर कोई ऐसा करता है और उसकी चोरी पकड़ी जाती है, तब उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सकती है।
पीएम किसान की वेबसाइट (pmkisan.gov.in) पर एनआईसी चैट इंटरफेस (NIC Chat Interface :NICCI) से यह सवाल पूछे जाने पर कि क्या होगा अगर कोई योजना के तहत गलत जानकारी/डिटेल दे? जवाब आया, “योजना के तहत लाभार्थी को अपात्र/अयोग्य के तौर पर चिह्नित कर दिया जाएगा। अगर उसे पीएम किसान के तहत किस्त जारी की गई हैं, तो वह उसे वापस करने के लिए उत्तरदायी होगा। साथ ही कानून के अनुसार अन्य दंडात्मक कार्रवाइयां की जा सकती हैं।”
अगर किसी किसान को किस्त नहीं मिलती है, तब क्या उन्हें बाद में वह मिलेगी? इस प्रश्न पर वेबसाइट कहती है, “हां, अगर किसी किसान को डेटा सुधार और सत्यापन में देरी के कारण नियत अवधि में किस्त प्राप्त नहीं हुई है तो सभी आवश्यक अनुमोदन और सत्यापन होने के बाद इसे जारी कर दिया जाएगा।” हालांकि, इस प्रक्रिया में थोड़ा वक्त लगता है, पर सहायता राशि लाभार्थी किसान तक पहुंचा दी जाती है।
योजना के लाभ के पेमेंट के लिए योजना के तहत लाभार्थियों की पहचान कैसे की जाती है? राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा राज्यों के पास उपलब्ध भूमि अभिलेख डेटाबेस के माध्यम से किसानों की पहचान की जाती है। किसान पीएम-किसान पोर्टल (PM-KISAN Portal), पीएम-किसान मोबाइल ऐप (PM-KISAN Mobile App) या सीएससी (CSC) के माध्यम से किसान कॉर्नर के माध्यम से भी अपना पंजीकरण करा सकते हैं।
पीएम किसान केंद्रीय योजना है, जो कि एक दिसंबर 2018 से संचालन में आई। इस योजना के तहत भूमि धारक किसान परिवारों को तीन समान किस्तों में हर साल छह हजार रुपए की आय सहायता मुहैया कराई जाती है।
पीएम किसान के तहत सहायता राशि पाने के लिए ई-केवाईसी अब जरूरी है, जबकि कुछ समय पहले तक यह काम करना जरूरी नहीं था। नई व्यवस्था के तहत, ई-केवाईसी की प्रक्रिया न पूरी करने वालों की किस्त अटक जाती है। रकम लाभार्थी किसानों के खाते में ट्रांसफर कराई जाती है। हालांकि, इस योजना के तहत कुछ ऐसी श्रेणियां भी हैं जो किसी भी सूरत में लाभ की हकदार नहीं हैं।