केंद्र सरकार ने पेंशन को लेकर बड़ा फैसला लिया है। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह (Union Minister Jitendra Singh) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि अब पेंशन के नियमों में बदलाव किया गया है, ताकि गवर्नेंस में भी आसानी हो और रहने में भी आसानी हो। बता दें कि यह नियम है कि अगर कोई भी पेंशनधारी व्यक्ति गायब हो जाता है और 7 साल तक नहीं मिलता है, तो 7 वर्ष तक फैमिली को कोई पेंशन नहीं मिलता है। लेकिन सरकार ने इस नियम में बदलाव किया है।

क्या कहता है नया नियम?

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह (Union Minister Jitendra Singh) ने कहा कि 7 साल वाला नियम खत्म हो गया है। उन्होंने कहा, “पेंशन विभाग में पहले यह नियम था कि अगर कोई व्यक्ति लापता हो जाता है तो 7 साल तक फैमिली पेंशन नहीं मिलेगी। या तो आपको उसका शव वापस लाना होगा और यह साबित करना होगा कि वह मर गया है या 7 साल तक इंतजार करें। उस नियम को खत्म कर दिया है। हमने ईज ऑफ गवर्नेंस, ईज ऑफ लिविंग लाने की कोशिश की है।

पेंशन प्राप्त करने की न्यूनतम पात्रता अवधि 10 वर्ष है। पेंशन नियमों के अनुसार सेवानिवृत्त होने वाला एक केंद्र सरकार का कर्मचारी कम से कम 10 वर्ष की सेवा पूरी करने पर पेंशन प्राप्त करने का हकदार है। पारिवारिक पेंशन के मामले में विधवा एक वर्ष की लगातार सेवा पूरी करने के बाद या एक वर्ष पूरा होने से पहले भी अपने पति की मृत्यु पर पारिवारिक पेंशन प्राप्त करने की पात्र है।

न्यूनतम पेंशन रु. 9000 प्रति माह

वर्तमान में न्यूनतम पेंशन रु. 9000 प्रति माह है। पेंशन की अधिकतम सीमा भारत सरकार के उच्चतम वेतन (वर्तमान में रु. 1,25,000) प्रति माह का 50% है। पेंशन की गणना अंतिम मूल वेतन या औसत सेवा के अंतिम 10 महीनों के दौरान मूल वेतन का औसत के संदर्भ में की जाती है। इसमें जो भी अधिक लाभकारी हो, उसी के अनुसार लिया जाता है।

एक केंद्र सरकार के कर्मचारी के पास एकमुश्त भुगतान का भी विकल्प होता है, लेकिन यह अधिकतम 40% तक ही होता है। यदि सेवानिवृत्ति के एक वर्ष के भीतर विकल्प का प्रयोग किया जाता है तो किसी मेडिकल टेस्ट की आवश्यकता नहीं है। यदि एक वर्ष की समाप्ति के बाद विकल्प का प्रयोग किया जाता है, तो उसे सक्षम प्राधिकारी द्वारा मेडिकल टेस्ट से गुजरना होगा।