अगर बैंक, एनबीएफसी और भुगतान प्रणाली परिचालक 30 दिन के भीतर ग्राहकों की शिकायतों का समाधान नहीं करते हैं, तो एकीकृत लोकपाल योजना- 2021 के तहत रिजर्व बैंक द्वारा विनियमित संस्थाओं द्वारा दी जाने वाली सेवाओं में कमी से संबंधित ग्राहकों की शिकायतों का नि:शुल्क समाधान किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये रिजर्व बैंक-एकीकृत लोकपाल योजना-2021 की शुरुआत की। यह योजना आरबीआई की मौजूदा तीन लोकपाल योजनाओं – बैंकिंग लोकपाल योजना 2006, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए लोकपाल योजना 2018 और डिजिटल लेनदेन के लिए लोकपाल योजना 2019 को एकीकृत करती है।

तीन मौजूदा योजनाओं को एकीकृत करने के अलावा, इसके दायरे में ऐसे गैर-अनुसूचित प्राथमिक सहकारी बैंक भी शामिल हैं, जिनकी जमा राशि 50 करोड़ रुपये या उससे अधिक है। किसी भी भाषा में डाक से, सीधे या ईमेल से मिली शिकायतों के प्रारंभिक प्रसंस्करण के लिए भारतीय रिजर्व बैंक, चंडीगढ़ में एक केंद्र बनाया गया है। आरबीआई ने एक बयान में कहा कि यह योजना रिजर्व बैंक के लोकपाल तंत्र के क्षेत्राधिकार को निरपेक्ष बनाकर ‘एक राष्ट्र एक लोकपाल’ के दृष्टिकोण को अपनाती है।

बयान में कहा गया, ‘‘आरबीआई द्वारा विनियमित संस्थाओं द्वारा दी जाने वाली सेवाओं में कमी से संबंधित ग्राहकों की शिकायतों का यदि 30 दिनों की अवधि के भीतर जवाब नहीं दिया जाता या समाधान नहीं किया जाता, तो आरबीआई द्वारा तैयार की गई योजना उन्हें नि:शुल्क समाधान देगी।’’ इसके लिए तैयार किए गए विशेष पोर्टल के माध्यम से भी शिकायत दर्ज कराई जा सकती है।

एकीकृत लोकपाल योजना (आरबी-आईओएस) का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि इसका मकसद शिकायत समाधान प्रणाली को और बेहतर करना है। इससे केंद्रीय बैंक के नियमन के तहत आने वाली इकाइयों के खिलाफ ग्राहकों की शिकायतों का समाधान बेहतर तरीके से हो सकेगा। एकीकृत लोकपाल योजना के तहत अन्य लोकपाल योजनाओं को इसमें समाहित किया जाएगा। इससे समूचे वित्तीय क्षेत्र के लिए एक लोकपाल प्रणाली होगी।

पीएम बोले, “इस योजना से ‘एक राष्ट्र-एक लोकपाल’ की अवधारणा वास्तविकता बन गई है।’ मोदी ने कहा कि किसी भी लोकतंत्र में शिकायत समाधान प्रणाली मजबूत होनी चाहिए। एकीकृत लोकपाल योजना से दीर्घावधि में इस दिशा में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि इसी तरह खुदरा प्रत्यक्ष योजना से अर्थव्यवस्था में सभी का समावेशन हो सकेगा।” इससे मध्यम वर्ग, कर्मचारी, छोटे व्यापारी और वरिष्ठ नागरिक अपनी छोटी बचत को सीधे और सुरक्षित तरीके से सरकारी प्रतिभूतियों में लगा सकेंगे।