हेल्‍थ इंश्‍योरेंस को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है। सूत्रों के अनुसार इंश्‍योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IRDAI) हेल्‍थ इंश्‍योरेंस को कैशलेस करने की तैयारी में है। इससे क्‍लेम की झंझट को खत्‍म करने की उम्‍मीद जताई जा रही है। बताया जा रहा है कि इस व्‍यवस्‍था को लागू करने के लिए इरडा ने इंश्‍योरेंस कंपनियों को 31 अक्‍टूबर तक का समय दिया है।

अभी लोगों के सामने एक बड़ी समस्‍या आती है कि कैशलेस सेटलमेंट की सुविधा कम ही अस्‍पताल देते हैं। बीमा नियामक मेडिकल इंश्‍योरेंस खरीदने वाले लोगों की इस दिक्‍कत को सिरे से समाप्‍त करने की तैयारी में है। अगर इरडा की योजना अमल में आती है तो पूरे देश में 100 फीसद कैशलेस सेटलमेंट सुनिश्चित होगा।

ईटी की एक रिपोर्ट के अनुसार, बीमा नियामक इरडा ने देश भर के अस्‍पतालों में कैशलेस मेडिकल इंश्‍योरेंस सेटलमेंट की सुविधा बहाल करने की तैयारी की है। इसके लिए नियामक ने अस्पतालों की सामान्य पैनलबद्धता प्रक्रिया और सौ फीसद कैशलेस पर समिति कैशलेस की रिपोर्ट तैयार करने को कहा है। समित‍ि को यह बताना है कि पूरे देश के अस्‍पतालों में कैशलेस सेटलमेंट को किस तरह से लागू किया जा सकता है।

अभी भारत में मेडिकल इंश्‍योरेंस रखने वाले लोगों की संख्‍या करीब 40 करोड़ है। अगर इरडा की नई योजना परवान चढ़ती है और इसे अमल में लाया जा सकता है तो मेडिकल इंश्‍योरेंस खरीदने वाले इन 40 करोड़ लोगों को बड़ा फायदा होगा। इसके अलावा इरडा की यह व्‍यवस्‍था देश में मेडिकल इंश्‍योरेंस की लोकप्रियता और स्‍वीकार्यता को भी बढ़ा सकती है, जिससे ओवरऑल इंश्‍योरेंस उद्योग को लाभ होगा।

अभी तकरीबन देश में 49 फीसदी अस्‍पताल ही कैशलेस सेटलमेंट की सुविधा मुहैया कराते हैं। ऐसे अस्‍पतालों की संख्‍या करीब 25 हजार है। इसमें भारत के सभी अस्‍पताल शामिल नहीं हैं, बल्कि यह आंकड़ा वैसे अस्‍पतालों का है, जो मेडिकल इंश्‍योरेंस के पैनल का हिस्‍सा है।

दरअसल मेडिकल इंश्‍योरेंस कराने वाले लोगों को अभी दो तरह से कवरेज मिलता है। कैशलेस सेटलमेंट के मामले में बीमा कंपनी ही सीधे अस्‍पताल को भुगतान करती है। जहां यह सुविधा नहीं होती है, वहां पालिसी होल्‍डर को पहले खुदा से अस्‍पताल के बिल का पेमेंट करना होता है। बीमा कंपनी बाद में पालिसी होल्‍डर को पेमेंट करती है।

इस तरह की व्‍यवस्‍था में ग्राहकों को कई बार परेशानियां उठानी पड़ती है। वहीं ऐसे भी मामले सामने आते हैं, जब लोग बीमा होने के बाद भी सही अस्‍पताल में नहीं जा पाते हैं, क्‍योंकि उनके पास कैश पेमेंट की व्‍यवस्‍था नहीं होती है। इरडा अब इसे ही दुरूस्‍त करने के प्रयास में है।

कई बार ऐसे मामले भी सामने आए हैं , जिनमें सेटलमेंट को लेकर अस्‍पतालों और बीमा कंपनियों के बीच विवाद हो गया है। इरडा की नई व्‍यवस्‍था ऐसे विवादों को भी दूर करेगी।