कई देशों में मंकीपॉक्स के मामलों में तेजी आई है, जिसे लेकर भारत सरकार भी सतर्क है। इसी के मद्देनजर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों और अस्पतालों के लिए एडवाइजरी जारी की है कि ऐसे लोगों पर विशेष नजर रखी जाए, जो विदेशों से यात्रा करके आ रहे हैं या हाल ही में विदेशों की यात्रा की है।
NIV को भेजे जाएं सैंपल
मंत्रालय ने कहा है कि अगर इनमें मंकीपॉक्स के लक्षण पाए जाते हैं, तो इन्हें तुरंत अलग रखा जाए। वहीं विदेशी यात्रा से आने पर कुछ दिनों के लिए इन्हें आईसोलेट भी किया जा सकता है। इसके अलावा स्वास्थ्य मंत्रालय ने हाल ही में हवाई अड्डों और बंदरगाहों पर स्वास्थ्य अधिकारियों से निगरानी बढ़ाने और मंकीपॉक्स प्रभावित देशों के लक्षण वाले यात्रियों को अलग करने और उनके नमूने जांच के लिए NIV को भेजने को कहा है।
5 से 21 दिनों के लिए किया जा सकता है आईसोलेट
पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, एक स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि विदेश से आए लोगों को क्वारंटीन अवधि पर 7-14 दिनों की तुलना में 5-21 दिनों तक रखा जा सकता है और अगर उस दौरान ज्यादातर कोई लक्षण नहीं होते हैं, तो क्वारंटीन अवधि समाप्त हो सकती है। अधिकारी ने कहा कि इसका उद्देश्य उन व्यक्तियों का पता लगाना है, जो लक्षणों की कमी के कारण हवाई अड्डे पर स्क्रीनिंग के दौरान छूट गए थे। लक्षण आने पर इन्हें अस्पताल में भर्ती कराया जाएगा।
उपचार और रोकथाम के लिए व्यापक दिशानिर्देश
स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से यह एडवाइजरी तब आया है, जब ब्रिटेन, इटली, पुर्तगाल, स्पेन, कनाडा और अमेरिका में मंकीपॉक्स के मामलों में इजाफा हो रहा है। हालाकि स्वास्थ्य मंत्रालय, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) और राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC) के सहयोग से मंकीपॉक्स के उपचार और रोकथाम के लिए व्यापक दिशानिर्देश तैयार कर रहा है।
भारत में एक संदिग्ध मामला
अभी भारत में मंकीपॉक्स को लेकर सिर्फ एक ही संदिग्ध मामला सामने आया था, जिसे पुणे में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) में इस वायरस की पुष्टि नहीं होने की बात की है। गौरतबल है कि हाल ही में मंत्रालय की ओर से राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को मंकीपॉक्स को लेकर सतर्क किया गया था और इसके बाद 21 दिनों के अंदर यात्रा करके आने वाले लोगों पर निगरानी बढ़ाने का निर्देश दिया है।
इन माध्यमों से प्रवेश करता है वायरस
मंत्रालय की ओर से जारी एडवाइजरी के मुताबिक मंकीपॉक्स जानवर से इंसानों में और इंसान से इंसान में भी फैल सकता है। वायरस कटी हुई त्वचा (भले ही दिखाई न दे), श्वसन पथ, या आंख, नाक या मुंह के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है।