लॉकडाउन के तीसरे चरण में राज्य सरकारें शराब की बिक्री को मंजूरी दे रही हैं। 4 मई को शराब की दुकानें खुलने के बाद देश के अलग-अलग हिस्सों में लोगों की भारी भीड़ दिखाई दे रही है। लोग 2 से तीन किलोमीटर की लंबी लाइन में खड़े होकर शराब खरीद रहे हैं। वहीं ऐसे भी मामले सामने आ रहे हैं जिसमें लोग कई लीटर शराब खरीद कर रहे हैं। ज्यादा शराब खरीदना तो गैर-कानूनी नहीं है लेकिन इसकी तस्करी करना गैर-कानूनी है।
ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं जिसमें लोग ठेकों से शराब खरीदने के बाद इसकी तस्करी कर ज्यादा दामों में बेच रहे हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि एक राज्य में शराब सस्ती होती है तो दूसरे राज्य में महंगी। लॉकडाउन में ही दिल्ली सरकार ने शराब की एमआरपी पर 70 फीसदी ‘स्पेशल कोरोना टैक्स’ लगा दिया। वहीं अन्य राज्य ने भी 25 से 30 प्रतिशत टैक्स लगा दिया है। अगर कोई शराब तस्करी करते हुए पकड़ा जाता है तो आबकारी अधिनियम की धारा 60 (क) के तहत मामला दर्ज किया जाता है।
यह गैर जमानती अपराध की श्रेणी में आता है। हालांकि 2018 से पहले ऐसा नहीं था लेकिन सरकार ने इस धारा को सख्त बनाते हुए इसे गैर जमानती अपराध की श्रेणी में डाल दिया। इस तरह के मामलों में अदालत के सामने तथ्य पेश किए जाते हैं और फिर कोर्ट जमानत पर फैसला लेता है।
यानि की मामला दर्ज होने पर कोर्ट के चक्कर लगाना तय होता है। जमानत मिलना काफी मुश्किल होता है। बात की जाए सजा की तो ऐसे मामलों में मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सजा सुनाई जा सकती है। इसके अलावा 10 लाख रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

