भारतीय रेलवे यात्रियों की सुवाधाओं को लेकर पहले से और भी बेहतर इंतजाम में जुटी है। इसका बदला हुआ रूप आप नई दिल्ली और हजरत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशनों पर देख सकते हैं। नई दिल्ली और हजरत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशनों पर यात्री प्रतीक्षालय (Passenger Waiting Room) का मेकओवर कर दिया गया है। इसमें यात्रियों सुविधाओं का विशेष ख्याल रखा गया है। इसके लिए प्रति घंटे के हिसाब से यात्रियों से चार्ज भी वसूले जाएंगे।
सार्वजनिक एवं निजी भागीदारी (PPP) मॉडल के आधार पर उत्तर रेलवे के वाणिज्यिक विभाग की एक पहल है। इस मेकओवर में नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर 4 करोड़ रुपये और निजामुद्दीन पर 2 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। रेलवे अधिकारियों ने कहा कि पहले वेटिंग रूम में कई समस्याएं थीं, जिनमें भीड़भाड़ और सुविधाओं की कमी शामिल थी। उत्तर रेलवे के एक अधिकारी ने कहा, “एसी वेटिंग रूम में यात्रियों द्वारा अनधिकृत प्रवेश और लंबे समय तक उपयोग किया जाता था। भीड़ ज्यादा होने से कूलिंग की समस्या रहती थी और उपलब्ध संसाधन उसे पूरा नहीं कर पाते थे।”
अधिकारी ने बताया, “नॉन-एसी वेटिंग रूम काफी हद तक मानव रहित होने के कारण कभी पसंद नहीं किया गया। अधिकारियों ने कहा कि वेंटिलेशन, लाइटिंग और अंदर माहौल खराब होने के कारण यात्रियों ने प्लेटफॉर्म पर इंतजार करना ज्यादा पसंद किया।”
नए वेटिंग रूम के वातानुकूलित (AC) और स्लीपर (नॉन AC) दोनों में यात्रियों को मार्गदर्शन के लिए खाद्य और पेय काउंटर और कर्मचारियों के अलावा सुरक्षा में सुधार हुआ है। एसी वेटिंग रूम का उपयोग करने वाले लोगों को प्रति व्यक्ति प्रति घंटे 10 रुपये का शुल्क देना होगा और पांच से 12 वर्ष के बीच के बच्चों के लिए 5 रुपये और स्लीपर वेटिंग रूम का उपयोग मुफ्त में किया जा सकता है।
ये शुल्क पीपीपी अनुबंध के तहत पांच साल की अवधि के लिए निर्धारित किए गए हैं। अगर वे अनुबंध के लिए पांच साल की अवधि बढ़ाते हैं तो फिर AC वेटिंग रूम वयस्कों के लिए 20 रुपये प्रति घंटे और बच्चों के लिए रूम के लिए 10 रुपये प्रति घंटे तक बढ़ा दिया जाएगा। हालांकि, इस सुविधा के संबंध में यात्रियों की अपनी भी कुछ दलीलें हैं।
निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन से अपने साथ पांच सदस्यों के साथ हरिद्वार से पुणे के लिए यात्रा करने वाली जागृति कंसारा, जिन्हें स्टेशन पर 8 घंटे प्रतिक्षा करनी थी, उन्होंने कहा कि यात्रियों को शुरुआती 2 घंटे AC वेटिंग रूम में मुफ्त में ठहरने की व्यवस्था करनी चाहिए। वह कहती हैं, “अगर एक निजी कंपनी ने ये प्रतीक्षालय बनाए हैं और जनता से शुल्क वसूलना चाहती है, तो उन्हें बाहर शिफ्ट किया जा सकता है। प्लेटफॉर्म पर रुकना हमारा अधिकार है। सरकार को यात्रियों को दो घंटे तक मुफ्त में प्रतीक्षा सुविधा का उपयोग करने की अनुमति देनी चाहिए और इसके बाद यह शुल्क लिया जा सकता है।”
रेलवे के अधिकारियों ने कहा कि एसी कमरों में एक चार्ज है, ताकि पीपीपी फर्म परियोजना पर खर्च किए गए धन की वसूली कर सके। “यह सोचा गया था कि एसी ट्रेन के डिब्बों में यात्रा करने वाले लोग वेटिंग रूम का उपयोग करने के लिए प्रति घंटे 10 रुपये अतिरिक्त दे सकते हैं। एक अधिकारी ने कहा कि हमने यह सोचकर स्लीपर वेटिंग रूम को मुफ्त रखा है कि सभी यात्री अतिरिक्त शुल्क का भुगतान करने में सहज नहीं हो सकते।