भारतीय रेलवे की ओर से अब स्‍टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए नई पहले शुरू की गई है। सोमवार को रेलमंत्री अश्‍व‍िनी वैष्‍णव ने जानकारी देते हुए कहा कि रेलवे स्‍टॉर्टअप्‍स के लिए अब 50 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश करेगा। उन्‍होंने कहा कि इस तरह के अन्य सहयोगों के विपरीत,बौद्धिक संपदा अधिकार(IPR) इनवेंशन के लिए इनवेटरों के पास रहेगा।

भारतीय रेलवे इनोवेशन पॉलिसी के तहत, रेलवे स्टार्ट-अप्स में निवेश करेगा, ताकि राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर के लिए इनोवेंशन तकनीकी समाधानों के लिए 1.5 करोड़ रुपये तक के सीड मनी इनवेटरों को दी जा सके। रेलमंत्री ने कहा कि यह नीति केवल विचार तक सीमित नहीं है। भारतीय रेलवे इसे बढ़ाने, अनुदान सहायता को दोगुना करने और इसके नियमित उपयोग के साथ दो से तीन वर्षों के लिए समर्थन के लिए सफलतापूर्वक विकसित उत्पाद को अपनाने पर काम करेगा।

मंत्री ने कहा कि भारतीय रेलवे की स्‍टार्टअप्‍स वाली नई पॉलिसी की चर्चा लंबे समय से चल रही थी। इस पहल से रेलवे के साथ ही नई तकनीक को भी बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि इस प्लेटफॉर्म के जरिए स्टार्ट-अप्स को रेलवे से जुड़ने का अच्छा मौका मिलेगा।

रेल मंत्री ने नीति को औपचारिक रूप से लॉन्च करते हुए मीडिया से कहा कि स्‍टार्टअप्‍स पॉलिसी का वार्षिक बजट लगभग 40-50 करोड़ रुपए होगा और मंडल रेल प्रबंधकों के लिए एक अतिरिक्त कोष होगा ताकि वे ऑन-फील्ड समस्याओं का ऑन-फील्ड समाधान ढूंढ सकें और आईपीआर इनोवेटर के पास रहेगा। उन्‍होंने कहा कि भारतीय रेलवे और एक इनोवेशन द्वारा समान अनुपात में – 50:50 में लागत-साझाकरण के आधार पर वित्त पोषण योजना तय की गई है।

उन्‍होंने कहा कि यदि स्‍टार्टअप्‍स भारतीय रेलवे के साथ सहयोग करते हैं तो कई तकनीकी चुनौतियों का समाधान किया जा सकता है। रेलमंत्री ने कहा कि पूरी विकास यात्रा के दौरान रेलवे के फील्ड अधिकारी, आरडीएसओ, जोनल और रेलवे बोर्ड के अधिकारी नवोन्मेषकों का लगातार समर्थन करेंगे और उनका साथ देंगे।

उन्होंने कहा कि भारतीय रेलवे स्‍टार्टअप्‍स पॉलिसी के तहत भारतीय इनोवेटरों को राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर के लिए लागत प्रभावी, कार्य करने योग्य, स्केलेबल समाधान और कार्यात्मक प्रोटोटाइप विकसित करने के लिए रेलवे के साथ जुड़ने में सक्षम बनाएगी।

वैष्णव ने कहा कि खुली, पारदर्शी और निष्पक्ष प्रक्रिया के माध्यम से चयन किया जाएगा। इसके लिए एक पोर्टल विकसित की गई है, इस innovation.indianrailways.gov.in पर आवश्यक प्रमाण के साथ आवेदन अपलोड किए जाएंगे।

गौरतलब है कि भारतीय रेलवे की ओर से मई में, फील्ड इकाइयों को क्षेत्रों की समस्‍या की जानकारी देने के लिए कहा गया था। इसके तहत अबतक लगभग 160 समस्या विवरण प्राप्त हो चुके हैं। शुरुआत में नई नवाचार नीति के माध्यम से निपटने के लिए 11 समस्याओं के बयानों की पहचान की गई है और वेबसाइट पर अपलोड किया गया है। इनमें टूटी हुई रेल डिटेक्शन सिस्टम, रेल स्ट्रेस मॉनिटरिंग सिस्टम, सटीक निरीक्षण के लिए ट्रैक निरीक्षण प्रौद्योगिकियां और भारी माल ढुलाई वैगनों के लिए बेहतर इलास्टोमेट्रिक पैड शामिल हैं।