दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने अर्धसैनिक बलों (Paramilitary Forces) के अधिकारियों को बड़ी राहत दी है। हाई कोर्ट ने एक फैसले में कहा कि देश के दूर-दराज इलाकों में तैनात अर्धसैनिक बलों के अधिकारियों को अपने परिवारों को शहरों या अन्य स्थानों पर उनकी पसंद के किराए के आवास में रखने के लिए मकान किराया भत्ते (House Rent Allowance) का लाभ दिया जाना चाहिए। बता दें कि इस तरह की सुविधा केवल अधिकारी रैंक से नीचे के कर्मियों या जवानों के लिए उपलब्ध थी।

Paramilitary Forces में सभी को मिले HRA- कोर्ट

कोर्ट ने कहा कि हाउस रेंट अलाउंस (HRA) का लाभ केवल PBORs (Personnel Below Officer Rank) तक ही सीमित नहीं होगा, बल्कि उनकी पात्रता के अनुसार उनके रैंक के बावजूद सुरक्षा बलों के सभी कर्मियों को वितरित किया जाएगा। इस फैसले को पारित करते हुए न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत (Justice Suresh Kumar Kait) की अध्यक्षता वाली दिल्ली उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने कहा, “प्रतिवादियों को इस फैसले के छह सप्ताह के भीतर गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs) के साथ-साथ वित्त मंत्रालय (Ministry of Finance) के परामर्श से आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया जाता है, ताकि याचिकाकर्ताओं को एचआरए का लाभ दिया जा सके।

दिल्ली उच्च न्यायालय का आदेश सीमा सुरक्षा बल (Border Security Force) के नौ अधिकारियों द्वारा एक याचिका दायर किए जाने के बाद आया है। अधिकारियों ने तर्क दिया था कि उन्हें सरकारी आवास उपलब्ध नहीं कराया गया है और न ही उन्हें अपने परिवारों को अलग-अलग स्थानों पर रखने के लिए मकान किराया भत्ता (HRA) दिया जा रहा है।

Seventh Pay Commission ने भी की थी सिफारिश

अधिकारियों ने कोर्ट में तर्क दिया कि सातवें वेतन आयोग (Seventh Pay Commission) ने भी सिफारिश की थी कि वर्दीधारी सेवाओं के जवान अपने परिवारों को किसी भी स्थान पर रख सकते हैं और इसके लिए उन्हें HRA का भुगतान किया जाएगा। हालांकि यह सिफारिशें अधिकारी रैंक से नीचे के जवानों (PBOR) तक ही सीमित थीं। जबकि ग्रुप-ए के अधिकारियों के लिए यह नहीं था।

BSF के अधिकारियों की ओर से पेश वकील अंकित छिब्बर (Ankit Chhibber) ने कहा, “अर्द्धसैनिक अधिकारियों के सामने आने वाले मुद्दों को केंद्रीय वेतन आयोग ने भी स्वीकार किया था और इसने सभी कर्मियों को लाभ दिए जाने की सिफारिश की थी। लेकिन केवल जवानों को यह सुविधा दी गई थी जो अतार्किक और मनमाना था। अब उच्च न्यायालय ने अधिकारियों को भी अनुमति दे दी है।”