Gold Investment Sovereign Gold Bonds Details in Hindi: फेस्टीव सीजन के बीच केंद्र सरकार ने Sovereign Gold Bonds की ताजा श्रृंखला का सबस्क्रिप्शन चालू किया है। Sovereign Gold Bond Scheme 2019-20 – Series V 3,788 रुपए प्रति ग्राम की इश्यू प्राइस के साथ खुली है। निवेशक इनके लिए ऑनलाइन पेमेंट के जरिए 50 रुपए प्रति ग्राम की छूट पा सकते हैं। यानी डिस्काउंट के बाद ये बॉन्ड्स 3,738 रुपए प्रति ग्राम के हिसाब से मिलेंगे। 11 अक्टूबर तक इस सीरीज में ये बॉन्ड्स जारी किए जाएंगे, जबकि इन्हें जारी करने की तारीख (इश्युएंस डेट) 15 अक्टूबर, 2019 रहेगी। आगे इन बॉन्ड की अगली सीरीज का सबस्क्रिप्शन इसी महीने 21 से 25 तारीख के बीच चलेगा।

दरअसल, भारतीय रिजर्व बैंक इन Sovereign Gold Bonds को जारी करता है, जो बैंकों और पोस्ट ऑफिस में सोने के एक ग्राम के दाम में दिए जाते हैं। इन बॉन्ड्स के दाम सोने से लिंक रहते हैं। यानी खरीदार/निवेशक के पास भौतिक रूप से सोना नहीं होता, मगर आरबीआई उसे उक्त सोने की कीमत के बराबर का सर्टिफिकेट जारी कर देती है। कोई भी व्यक्ति न्यूनतम एक ग्राम इसमें निवेश कर सकता है। खास बात है कि सोने की दिन-प्रतिदिन बढ़ती कीमत के साथ इसमें शीर्ष बैंक की ओर से ब्याज भी मिलता है।

गोल्ड बॉन्ड्स में निवेश करने के ये हैं टैक्स संबंधी फायदेः

1- गोल्ड बॉन्ड्स में कोई कैपिटल गेन्स टैक्स (अगर है तब, मैच्योरिटी तक) नहीं देना होगा। मैच्यरिटी पीरियड आठ साल है। या यूं कहें कि रिडेंप्शन के वक्त आने वाले किसी भी प्रकार के कैपिटल गेन्स टैक्स फ्री होंगे।

2- इन बॉन्ड्स पर मिलने वाला यह आयकर संबंधी लाभ Gold ETF, Gold Funds या फिर भौतिक सोने सरीखे और किसी अन्य इंस्ट्रूमेंट पर नहीं मिलता है।

3- वस्तु एवं सेवा कर (GST) इन बॉन्ड्स पर लागू नहीं होता। यह चीज इसे और भी खास बनाती है, जबकि तीन फीसदी GST सोने की खरीद पर लगता है। अच्छी बात है कि इन बॉन्ड्स में मेकिंग चार्ज भी नहीं लगते। ऊपर से भारत सरकार की ओर से इन पर गारंटी होती है।

4- गोल्ड बॉन्ड्स पर सालाना 2.5% ब्याज मिलता है और ब्याज से मिलने वाली आय व्यक्ति की आय में जुड़कर टैक्स के दायरे (अगर स्लैब में है, तब) में आती है। हालांकि, ब्याज में मिलने वाली इनकम पर कोई टीडीएस नहीं कटता है।

यह भी जान लें: अगर कोई निवेशक आठ साल पहले के वक्त से ही इन बॉन्ड्स को छोड़ना चाहता है, तब इन्हें बेचने और एक्सचेंज करने का विकल्प मिलता है। बॉन्ड जारी होने के बाद से पांचवां साल पूरा होने पर उसकी मौजूदा रकम भी हासिल की जा सकती है। इन दोनों ही स्थितियों में कैपिटल गेन्स टैक्स लगेगा।