कोरोना वायरस के सबसे ताजा स्वरूप ओमिक्रॉन को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने चेताया है। कहा है कि इसे हल्का मानने की चूक नहीं की जानी चाहिए। गुरुवार (छह जनवरी, 2021) को डब्ल्यूएचओ बोला कि 27 दिसंबर से दो जनवरी के दौरान इससे पिछले सप्ताह के मुकाबले कोरोना के नए वैश्विक मामलों में 71 फीसदी की वृद्धि देखी गई, जबकि इसी अवधि में मौत के मामलों में 10 फीसदी की गिरावट रही।
डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने आगाह किया कि ओमिक्रॉन के कारण आई ”मामलों की सुनामी” ने दुनियाभर में स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली पर बोझ अत्याधिक बढ़ा दिया है। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रस अधानम घेब्रेयेसस ने कहा, ”बीते सप्ताह महामारी के बाद से अब तक सर्वाधिक मामले सामने आए। साथ ही हम जानते हैं कि शायद छुट्टी के कारण नमूनों की जांच पेडिंग होने से मामलों की वास्तविक संख्या इससे अधिक भी हो सकती थी।”
जिनेवा में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने चेताया कि वायरस का नया स्वरूप ओमिक्रॉन भले ही डेल्टा स्वरूप से कम गंभीर लगता हो, पर इसका यह कतई मतलब नहीं कि इसे ”हल्के” की श्रेणी में रखना चाहिए। समझें, डेल्टा और ओमिक्रॉन में क्या है अंतर:
डेल्टा में लक्षण 10 दिन तक रहते हैं, पर ओमिक्रॉन में ये चार से पांच दिन तक टिकते हैं। डेल्टा में बुखार 101 से 103 एफ तक आ सकता है, मगर ओमिक्रॉन में यह 99.5 से 100 एफ तक हो सकता है। डेल्टा में मरीज को असल स्वाद और सुगंध नहीं आता। ओमिक्रॉन में सिर चकराने और जी मिचलाने की समस्या सामने आती है। डेल्टा के केस में लंग (फेफड़े) में कुछ दिनों में इन्फेक्शन हो जाता है, मगर अभी तक ओमिक्रॉन के मामले में लंग में निमोनिया या फिर किसी तरह के नुकसान को नहीं पाया गया है। डेल्टा में मरीज को सांस लेने में दिक्कत होती है। साथ ही सीने में भी दर्द होता है। ऑक्सीजन स्तर भी गिर जाता है। फेफड़ों में इस कदर नुकसान पहुंच जाता है कि उसे सीटी स्कैन में साफ देखा जा सकता है।
सूबों, UTs को जांच बढ़ाने के सुझावः इस बीच, ‘ओमिक्रॉन’ के अधिक संक्रामक होने और बिना लक्षण वाले अधिक मामले सामने आने के मद्देनजर केंद्र सरकार ने नौ राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों से कोविड-19 संबंधी जांच बढ़ाने को कहा है, ताकि ये मरीज दूसरों को संक्रमित न करें। तमिलनाडु, पंजाब, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मिजोरम, मेघालय, जम्मू-कश्मीर और बिहार को लिखे पत्र में केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की अतिरिक्त सचिव आरती आहूजा ने मामलों और संक्रमण दर के बढ़ने के बीच कोविड-19 जांच दर कम होने की ओर इशारा किया और कहा कि यह ‘‘चिंता का कारण’’ है।