प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार (25 दिसंबर, 2021) को राष्ट्र के नाम संबोधन के दौरान कहा कि नाक के जरिए दिए जाने वाले टीका (नेज़ल वैक्सीन) और कोविड के खिलाफ दुनिया का पहला डीएनए आधारित टीका भी जल्द ही भारत में शुरू होगा। पीएम की ओर से यह ऐलान ऐसे वक्त पर किया गया, जब देश में वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के सबसे नए स्वरूप ओमीक्रॉन के मामले तेजी से बढ़ने लगे हैं। आइए Nasal Vaccine के बारे में जानते हैं:
क्या होती है नेज़ल वैक्सीन?: नाम से ही पता चल जाता है कि यह नाक वाला टीका है, इसलिए यह सिरिंज के बजाय नाक के रास्ते से दिया जाता है। यह नाक के वायुमार्ग से शुरू होने वाले श्वसन मार्ग के भीतर संक्रमण के स्थल पर प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया पैदा करने में सहायक माना जाता है। इस तरह का टीका बच्चों के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है, क्योंकि यह कोरोना संक्रमण और संचरण दोनों को रोकता है।
भारत में कौन बना रहे ऐसे टीका?: भारत बायोटेक (Bharat Biotech) वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन (WUSM) के सहयोग से बच्चों के लिए BBV154 नाक का टीका विकसित कर रहा है। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) भी अमेरिका के न्यूयॉर्क स्थित वैक्सीन निर्माता कोडाजेनिक्स (Codagenix) की मदद से इंट्रासेल सीओवीआई-वीएसी कोविड वैक्सीन (COVI-VAC Covid Vaccine) के प्रभावी होने को लेकर परीक्षण कर रहा है।
WHO की क्या है इस पर राय?: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की मुख्य वैज्ञानिक डॉ.सौम्या स्वामीनाथन ने कहा है कि नाक का टीका बच्चों के लिए गेम चेंजर साबित हो सकता है। यह बच्चों को वायरस के खिलाफ प्रतिरक्षित करने में मदद करेगा। महामारी के बीच बाहरी गतिविधियों के बंद होने के कारण राज्यों भर के बच्चों को तालाबंदी का खामियाजा भुगतना पड़ा।
बता दें कि कोविड-19 की तीसरी लहर की आशंकाओं के बीच पीएम मोदी ने यह भी ऐलान किया कि अगले साल तीन जनवरी से 15 से 18 साल की आयु के बीच के किशोरों के लिये टीकाकरण अभियान चालू किया जाएगा।
इस बीच, अधिकारियों ने बताया कि भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने कुछ शर्तों के साथ 12 साल से अधिक उम्र के किशोरों के लिए भारत बायोटेक के कोविड-19 रोधी टीके कोवैक्सीन को आपातकालीन उपयोग के वास्ते मंजूरी दे दी है। यह जायडस कैडिला द्वारा तैयार बिना सुई वाले कोविड-19 रोधी टीके जायकोव-डी के बाद 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों-किशोरों के बीच उपयोग के लिए नियामक की अनुमति प्राप्त करने वाला दूसरा टीका है।