टीम इंडिया के पूर्व ओपनर वीरेंद्र सहवाग अपनी हाजिरजवाबी के लिए जाने जाते हैं। कितना भी दबाव वाला मैच क्यों न हो वे हमेशा मुस्कुराते और गुनगुनाते नजर आते थे। ऑस्ट्रेलिया के दिग्गज अंपायर साइमन टॉफेल भी उनकी इस अदा के कायल हैं। 5 बार आईसीसी के बेस्ट अंपायर चुने जाने वाले टॉफेल ने भारत और पाकिस्तान के बीच 2004 में मुल्तान में खेले गए मैच के बारे में एक मैगजीन से बातचीत की। वे उस मैच में अंपायरिंग कर रहे थे।

सहवाग ने उस टेस्ट में अपना पहला तिहरा शतक लगाया था। उन्होंने 309 रन की पारी खेली थी। टॉफेल 2004 से 2008 तक आईसीसी के बेस्ट अंपायर चुने गए थे। उन्होंने उस मैच को याद करते हुए कहा, ‘‘मैं खुशकिस्मत था कि मुल्तान टेस्ट में अंपायरिंग करने का मौका मिला। मुझे सहवाग जैसे खिलाड़ियों के साथ अंपायरिंग करने में खूब मजा आता था। सहवाग का टेंपरामेंट बेहतरीन था। वे 300 रन भी बना सकते हैं और जीरो भी।’’

टॉफेल ने आगे कहा, ‘‘सहवाग स्क्वायर लेग पर मेरे साथ खड़े होते। उन्हें किसी बात पर चकित करना आसान नहीं है. वे हमेशा हाजिरजवाबी से पलटवार करते थे। मुझे याद नहीं, लेकिन सहवाग के तिहरे शतक के लिए मेरे छक्के का सिग्नल ही जिम्मेदार था।’’ सहवाग ने मुल्तान टेस्ट में 375 गेंद की पारी में 309 रन बनाए थे। इस दौरान उन्होंने 39 चौके और 6 छक्के लगाए थे। सहवाग के अलावा सचिन तेंदुलकर ने नाबाद 194 रन बनाए थे।

उस मुकाबले में टॉफेल के साथ दूसरे अंपायर डेविड शेफर्ड थे। उस मुकाबले में सौरव गांगुली की जगह राहुल द्रविड़ टीम इंडिया के कप्तान थे। गांगुली के कमर में चोट लगी थी। मुल्तान टेस्ट भारत पारी और 52 रन से जीता था। भारत ने अपनी पहली पारी 5 विकेट पर 675 रन बनाकर घोषित की थी। द्रविड़ ने जब पारी घोषित की तब सचिन अपने दोहरे शतक से महज 6 रन दूर थे। इस फैसले के बाद विवाद भी हुआ था।