सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उत्तराखंड की चारधाम सड़क परियोजना की मंजूरी मिलने के बाद (संपादकीय, 16 दिसंबर) अब एक ओर श्रद्धालुओं को सुविधाजनक सड़क मिल जाएगी, तो दूसरी ओर यह सड़क सामरिक दृष्टि से भी बेहद महत्त्वपूर्ण है। अक्सर विकास और पर्यावरण संरक्षण एक-दूसरे की राह में रुकावट बनते हैं। इस सड़क परियोजना के निर्माण में भी हजारों वृक्षों को काटा और पहाड़ियों में विस्फोट किया जाएगा।
इस सड़क के निर्माण से सेना की टुकड़ी अपने साजो-सामान के साथ किसी भी मौसम में चीन सीमा के निकट आसानी से पहुंच सकती है। चीन ने सीमा के समीप कई गांव बसा लिए हैं, इसलिए भारत को ही अपनी सैन्य शक्ति में इजाफा करना चाहिए। शायद देश की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने भी सड़क परियोजना की मंजूरी देना जरूरी समझा।
सरकार को इस बात का खयाल रखना चाहिए कि जितनी संख्या में वृक्ष काटे जाएं, उतनी ही संख्या में वृक्ष लगाए भी जाएं। पर्यावरण सुरक्षा आज की एक सबसे बड़ी मांग बन चुकी है, उसकी अनदेखी करना मानवता के साथ खिलवाड़ करना होगा।
’हिमांशु शेखर, केसपा, गया