सीमा पार नेपाल में इन दिनों राजनीतिक भूचाल मचा हुआ है। इस भूचाल में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी एंट्री ले ली है। उनके पोस्टर इस भूचाल के सेंटर में हैं। योगी आदित्यनाथ नेपाल में ट्रेंड कर रहे हैं।

योगी आदित्यनाथ की बड़ी-बड़ी तस्वीरें दिखीं

बता दें कि 10 मार्च को नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह के स्वागत में काठमांडू में राजशाही समर्थक रैली आयोजित की गई थी। इस रैली के बीच में योगी आदित्यनाथ की बड़ी-बड़ी तस्वीरें दिखीं। लेकिन ऐसा क्यों? क्योंकि आदित्यनाथ नेपाल की राजशाही के मुखर समर्थक रहे हैं और जाहिर है, नेपाल में कुछ लोग इसे इस बात का संकेत मान रहे हैं कि भारत इस पर नज़र रख रहा है।

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दरअसल, ज्ञानेंद्र शाह ने जनवरी में उत्तर प्रदेश की अपनी यात्रा के दौरान योगी आदित्यनाथ से मुलाकात भी की थी। समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, राजशाही समर्थक राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (आरपीपी) के नेताओं और सदस्यों सहित समर्थकों ने पूर्व राजा के पक्ष में नारे लगाए।

कुछ राजनीतिक गुटों ने जमकर आलोचना की

नेपाल में राजशाही की बहाली के लिए समर्थन दिखाने के मकसद से आयोजित रैली के दौरान, कुछ कार्यकर्ताओं ने कथित तौर पर पूर्व राजा की तस्वीर के साथ योगी आदित्यनाथ की तस्वीरें भी दिखाईं।

माइक्रो ब्लॉगिंग साइट एक्स पर, कई सोशल मीडिया यूजर्स रैली में योगी आदित्यनाथ की तस्वीर दिखाए जाने से रोमांचित थे। हालांकि, कुछ राजनीतिक गुटों ने रैली के दौरान आदित्यनाथ की तस्वीरों को शामिल किए जाने की आलोचना भी की है।

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सोशल मीडिया पर मचे बवाल के बाद आरपीपी प्रवक्ता ज्ञानेंद्र शाही ने दावा किया कि रैली के दौरान आदित्यनाथ की तस्वीरों को दिखाना नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा राजशाही समर्थक आंदोलन को बदनाम करने का एक ‘जानबूझकर किया गया प्रयास’ था।

रिमल ने आरोपों का खंडन किया

शाही ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में दावा किया, “प्रधानमंत्री केपी ओली के मुख्य सलाहकार बिष्णु रिमल के निर्देश पर, ओली की सलाह पर योगी आदित्यनाथ की तस्वीर रैली में दिखाई गई थी।” हालांकि, रिमल ने आरोपों का खंडन किया।

पूर्व राजा के समर्थक काठमांडू और पोखरा सहित पूरे नेपाल में रैलियां कर रहे हैं, जिसमें राजशाही को बहाल करने की मांग की गई है, जिसे 2008 में पीपुल्स मूवमेंट के बाद खत्म कर दिया गया था।