बीजेपी को अलविदा कहने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो से जब पूछा गया कि पीएम मोदी और प. बंगाल की ममता बनर्जी में कौन बेहतर नेता है तो उन्होंने सवाल को टालने की कोशिश की। पत्रकार ने जब बार-बार कुरेदा तब उन्होंने कहा कि उनकी इतनी हैसियत नहीं जो दोनों की तुलना कर सकें। उनका कहना था कि वह रिवर्स मोड में नहीं जाना चाहते। उनकी हमेशा से ख्वाहिश रही है कि प्लेइंग 11 में ही रहें।
बाबुल सुप्रियो ने मोदी मंत्रिमंडल से हटाए जाने के बाद बीजेपी की सदस्यता छोड़ दी थी। उन्होंने सांसद पद छोड़ने की भी घोषणा की थी। हालांकि बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ बैठक के बाद उन्होंने आश्वस्त किया था कि वह सांसद का पद नहीं छोड़ेंगे, लेकिन हाल ही में उन्होंने टीएमसी का दामन थामकर चकित कर दिया। सूत्रों का कहना है कि फेसबुक पोस्ट में बाबुल का दर्द साफ दिखा था, लेकिन इस बात का अनुमान नहीं था कि वह टीएमसी का दामन थाम सकते हैं।
आजतक से बातचीत में बाबुल ने कहा- वह पार्टी बदलकर कोई इतिहास नहीं बना रहे हैं। इससे पहले भी कई बड़े नेताओं ने पार्टी बदली है। वह सीएम ममता और अभिषेक बनर्जी को धन्यवाद देना चाहते हैं कि उन्होंने अपनी टीम में मौका दिया। उनका कहना था कि वह राजनीति से संन्यास ले रहे थे, लेकिन कुछ ऐसे चुनौतीपूर्ण अवसर मिले हैं, जिससे वह फिर राजनीति के साथ जुड़े हैं। बाबुल सुप्रियो ने कहा कि चुनाव के पहले बाहरी लोगों को संगठन के शीर्ष पर बैठाकर स्थानीय बीजेपी समर्थकों को नजरदांज किया गया था। लेकिन दीदी ने उन पर जो विश्वास दिखाया, उसे देखकर दोबारा राजनीति में आए।
चुनाव जीतने के बाद ममता को क्यों नहीं दी जीत की बधाई। ममता और मोदी में किसे कितना नंबर देंगे। इन सब सवालों पर बाबुल सुप्रियो ने क्या कहा? देखिए, @anupammishra777 से उनकी ख़ास बातचीत। #ReporterDiary @SupriyoBabul pic.twitter.com/T4ewCaWDJ3
— AajTak (@aajtak) September 19, 2021
बाबुल सुप्रियो ने कहा कि उन्हें अपना फैसला बदलने पर गर्व है। बंगाल की सेवा करने के लिए टीएमसी में आए हैं। वह बहुत उत्साहित हैं। वह गर्मजोशी भरे स्वागत से अभिभूत हैं। 2024 को लेकर पूछे गए सवाल पर उनका कहना था कि अभी आम चुनाव बहुत दूर है। जो कुछ भी तब होगा वो सभी के सामने आ जाएगा। इसके बारे में अभी कुछ भी कहना जायज नहीं होगा। उनका कहना था कि वह वर्तमान में विश्वास करके भविष्य की योजना बनाएं। बेकार के पचड़े में पड़ना उनका स्वभाव नहीं।
गौरतलब है कि बाबुल सुप्रियो शनिवार को टीएमसी में शामिल हो गये थे। उसके बाद लगातार बीजेपी नेता उनकी आलोचना कर रहे हैं। मई में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में बाबुल सुप्रियो को बीजेपी टालीगंज से उम्मीदवार भी बनाया गया था, लेकिन वह हार गए थे। उन्हें इस बात का भी मलाल था कि केंद्रीय मंत्री होने के बावजूद दूसरे नेताओं को उन पर तरजीह दी गई।
