बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव अपने अनोखे अंदाज के लिए जाने जाते हैं। एर इंटरव्यू में जब उनसे नीतीश कुमार के विपक्षी खेमे में जाने के बारे में पूछा गया तो उनका कहना था कि बिहार के सीएम दुश्मन के खेमे में घुसे और लात मारकर हमें रिपोर्ट किया। वो विपक्ष के पास उनके भेद लेने गए थे।

2015 में आजतक पर एक इंटरव्यू में लालू ने नीतीश को हनुमान बताते हुए कहा कि जैसे बजरंग बली लंका में भेद लेने घुसे थे। वहां उन्होंने दुश्मन का भेद लिया, सीता मां का पता लगाया और अपनी पूंछ में आग लगाकर लंका को ही जला डाला। ऐसे ही नीतीश दुश्मन के खेमे में गए। वहां भेद लिया और फिर उसे हनुमान जी की तरह ध्वस्त कर लौट आए।

पत्रकार पुण्य प्रसून बाजपेयी ने उनसे पूछा कि जमात से गिरने के बाद नीतीश के साथ वह क्यों खड़े हो गए। लालू ने विरोध करते हुए कहा कि नीतीश गिरे नहीं। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि वह नीतीश के साथ इस वजह से खड़े हुए क्योंकि उन्हें फिर से उठाना था। उनका कहना था कि नीतीश हमेशा से उके साथ रहे थे और आज भी हैं। उनकी बातों पर प्रोग्राम में बैठे लोग ठहाका लगाकर हंस पड़े।

लालकृष्ण आडवाणी का जिक्र करे हुए उन्होंने कहा कि वह सामाजिक आदमी हैं। वह विपक्षी नेताओं के शादी ब्याह में भी शिरकत करते हैं। उनका कहना था कि आडवाणी से उनका विरोध है। उन्होंने ही आडवाणी को गिरफ्तार किया था, लेकिन सामाजिक चीजें अलग होती हैं। वो शादी में आते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि फिर से मैं उन्हें गिरफ्तार न कर लूं।

जब उसे यह पूछा गया कि आपने अपनी बेटी की शादी में नरेंद्र मोदी को क्यों बुलाया तो उनका कहना था कि अगर नहीं बुलाते तो कहते कि लालू राजनीतिक आदमी नहीं हैं। पत्रकार ने उनसे पूछा कि मोदी को बतौर पीएम उन्होंने बुलाया था या फिर सेवक के तौर पर तो लालू का कहना था कि उन्होंने एक नेता के तौर पर उन्हें आमंत्रित किया था। इसमें राजनीति नहीं है। उन्होंने मजाकिया अंदाज में कहा कि मोदी के एक तरफ वो बैठे थे तो दूसरी तरफ मुलायम। उन्हें संदेश था कि दोनों यादवों के बीच में हैं वो। ठीक से रहेंगे तो ही चल पाएंगे।