18 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटिंग होने वाली है। राष्ट्रपति पद के लिए NDA की तरफ से द्रौपदी मुर्मू और विपक्ष की तरफ से साझा उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को बनाया गया है। इसी बीच जब यशवंत सिन्हा से उदयपुर और अमरावती की घटना को लेकर सवाल पूछा गया तो पढ़िए उन्होंने क्या कहा है। 

‘द लल्लनटॉप’ को दिए इंटरव्यू में उदयपुर की घटना की निंदा करते हुए यशवंत सिन्हा ने कहा कि ‘जो घृणा, द्वेष, आपसी मतभेद का वातावरण बना है, क्योंकि शायद सरकारी पार्टी को लगता है कि वो इसी आधार पर चुनाव जीतते चले जायेंगे, ये खतरनाक है। भाजपा के प्रवक्ता के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं, सिर्फ पार्टी से सस्पेंड कर दिया गया जबकि ऑल्ट न्यूज के जुबैर जेल चले गये तो क्या ये नहीं दिखता कि किस तरह का भेदभाव किया जा रहा है।’ 

यशवंत सिन्हा ने कहा कि ‘एक पुरानी कहावत है कि न्याय ना सिर्फ होना चाहिए बल्कि होते हुए दिखना भी चाहिए। आजकल तो इसके बिलकुल उलट दिखाई दे रहा है। आज तुम हमारे साथ हो तो 100 खून माफ है। यहां तक कि केन्द्रीय मंत्री भड़काऊ नारे लगवाते हैं और उन पर कोई कार्रवाई नहीं होती है। घटनाओं पर अगर प्रधानमंत्री खामोश हैं तो इसका मतलब ये है कि इन घटनाओं में उनकी सहमति है।’

उदयपुर और अमरावती की घटना की निंदा करते हुए यशवंत सिन्हा ने कहा कि ‘सुप्रीम कोर्ट के जज ने भी कहा कि ये घटना नूपुर शर्मा के बयान के बाद हुई है तो सोशल मीडिया पर लोगों ने सुप्रीम कोर्ट को फटकार दिया। जज को सामने आकर कहना पड़ा कि ये गलत हो रहा है। ये बड़ी चेतावनी है। मुझे इस बात का अफसोस है कि प्रधानमंत्री और गृहमंत्री ने एक शब्द भी नहीं बोला है।’

बता दें कि यशवंत सिन्हा पहले भाजपा में थे, अटल जी की सरकार में केंद्रीय मंत्री थे। मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ बोलते हुए यशवंत सिन्हा ने भाजपा छोड़ दी थी। इसके बाद वह टीएमसी में चल गए, अब उन्हे विपक्ष की तरफ से राष्ट्रपति पद के लिए साझा उम्मीदवार बनाया गया है। हालांकि आंकड़ों के गणित को समझें तो यशवंत सिन्हा का राष्ट्रपति बनना मुश्किल नजर आ रहा है।