संयुक्त किसान मोर्चा ने मंगलवार को एक बैठक के बाद जानकारी दी कि सरकार ने हमें एक प्रस्ताव भेजा है, हमारी 5 संसदीय समिति ने उस पर विचार किया। सरकार के प्रस्ताव पर पूरी तरह से सहमति नहीं बनने पर हमारी बैठक बुधवार को फिर होगी। इसी विषय पर
टाइम्स नाउ नवभारत चैनल पर भारतीय किसान यूनियन का पक्ष रखने पहुंचे राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार के साथ जिन भी किसान नेताओं की बात होगी उनके बारे में हम जल्द ही बता देंगे।

एंकर सुशांत सिन्हा ने पूछा, ” आप हमेशा से ही न्यूज़ चैनल से इंटरव्यू के दौरान कह रहे थे कि यह देश का आंदोलन है, फिर अलग-अलग किसान संगठनों से आपका बैर क्यों हो गया? अगर वह कमेटी में आएंगे तो आपको क्या दिक्कत है? अगर सभी किसान संगठन एमएसपी चाहते हैं तो उनसे बात क्यों ना की जाए?”

राकेश टिकैत ने इसके जवाब में कहा – मुझे जो भी आपत्ति थी मैंने उसे सरकार को भेज दिया है। इस पर उनसे पूछा गया कि आपको क्या आपत्ति है? टिकैत ने कहा – बहुत सारे व्यापारी किसानों का नाम लेकर इस तरह की बात करते हैं। उनका नाम किसान का रहता है लेकिन वह काम उद्योगपतियों की तरह करते हैं। हमें इस बैठक में शामिल होने वाले किसानों का नाम मिल जाएगा तो हम बता देंगे कि हमें किससे ऐतराज है।”

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एंकर ने पूछा – आपके ऊपर पॉलीटिकल एजेंडा चलाने का आरोप लगता है तो आपको बुरा लगता है लेकिन आज आप किसान संगठनों पर आरोप लगा रहे हैं कि वह व्यापारियों के कहने पर इस तरह की बात कर रहे हैं? टिकैत ने कहा – आप किसानों को क्यों बांटते हो। आपका अगला कोई सवाल हो वह पूछो। उनसे पूछा गया कि आपको क्यों डर है कि अगर और लोग आ जाएंगे तो आपके हाथ से चीजें निकल जाएंगी?

टिकैत ने कहा कि इसमें हर कोई ही आना चाहिए लेकिन सबका नाम देखकर अपना निर्णय लेंगे। हमें सरकार के साथ बैठक में क्या बोलना है उसको लेकर आप की एडवाइजरी नहीं चाहिए। इस पर एंकर ने कहा कि आप थोड़ी सी हमारी एडवाइस भी ले लीजिए। जिससे किसान आगे बढ़ सके। जानकारी के लिए बता दें कि केंद्र सरकार ने आंदोलन कर रहे किसानों को उनकी मांगों को लेकर लिखित आश्वासन दिया है। इन आश्वासनों में एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी भी शामिल है।