प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किसान बिल वापसी के ऐलान के बाद से ही सोशल मीडिया पर तमाम प्रकार की प्रतिक्रियाएं आ रही है। विपक्षी नेताओं से लेकर आम ट्विटर यूजर तक पीएम नरेंद्र मोदी के इस फैसले पर अपनी बात कह रहे हैं। ऐसे में पीएम मोदी को लेकर एंकर सुशांत सिन्हा और कांग्रेस प्रवक्ता अलका लांबा ट्विटर पर एक-दूसरे से उलझ गए।
दरअसल एंकर ने अपने ट्विटर अकाउंट से एक पोल किया जिसमें उन्होंने सवाल डाला कि आप के मुताबिक पीएम नरेंद्र मोदी ने कृषि कानून वापस लेकर सही किया या गलत। इसी पर अलका लांबा ने लिखा- आज पहली बार हो रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी जी को अपनों का साथ नहीं मिल रहा होगा। इस फैसले से नाक जो आज उनकी ही ज्यादा कटी है। बेचारे भाजपा के प्रवक्ता, गोदी मीडिया के एंकर और अंधभक्त… हमें आप सब से कोई सहानुभूति नहीं।
जिसके जवाब में सुशांत सिन्हा ने लिखा कि यही खासियत है नरेन्द्र मोदी के समर्थकों की। वो उनके साथ देशहित में होते हैं। अगर कुछ देशहित में न लगे तो उनके ख़िलाफ़ भी जा सकते हैं। आप जैसों और पिद्दी मीडिया की तरह नहीं कि एक परिवार देश भी बेच आए तो उनके चरणों में पड़े रहेंगे। सहानुभूति छोड़िए, आप तो उनके तरस के लायक़ भी नहीं।
जिसके बाद अलका लांबा ने पलटवार में लिखा- चलिए आप सबने अब यह भी मान लिया कि प्रधानमंत्री मोदी जी देशहित में फैसले नहीं ले रहे। चीन जैसे देशों के साथ मिलकर गद्दारी भी कर रहे हैं, तो क्यों ना फिर देशहित में एक आंदोलन छेड़, उनके हाथ में झोला थमा, उन्हें कुर्सी से उतार अब हिमालय की ओर चलता ही करें? क्यों क्या ख्याल हैं आपके?
एंकर और कांग्रेस नेता के इन ट्वीट्स पर आम ट्विटर यूजर ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। राजकिशोर (@rajkishore234) नाम के ट्विटर यूजर ने एंकर के ट्वीट पर लिखा कि जिसे आप पत्रकार समझते थे वो तो नरेंद्र मोदी के समर्थक निकले। गजेंद्र सिंह (@Gajendr96041584) नाम के ट्विटर यूजर लिखते हैं कि किसान बिल से पहले देश बचाना जरूरी था। आंदोलन की आड़ में खालिस्तानी गैंग जो देश विरोधी एजेंडा चला रहा था वो दुकान आज बंद हुई। किसान बिलों को वापिस लेने के फैसले से सबसे ज़्यादा मायूस शायद आज खुद पीएम होंगे लेकिन उन्होंने देश ना झुके इसलिए खुद झुकना सही समझा।
गौरतलब है कि पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा तीन कृषि कानूनों को वापस लेने पर कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि आज 700 से अधिक किसान परिवारों, जिन के सदस्यों ने न्याय के लिए इस संघर्ष में अपने प्राणों की आहुति दी है, उनका बलिदान रंग लाया है। आज सत्य, न्याय और अहिंसा की जीत हुई है।