सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने नीति आयोग द्वारा जारी स्वास्थ्य सूचकांक में उत्तर प्रदेश के खराब प्रदर्शन पर राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की सेहत ख़राब करने वालों को जनता बाइस में जवाब देगी। यूपी कहे आज का, नहीं चाहिए भाजपा।

अखिलेश यादव ने अपने ट्वीट में कहा कि नीति आयोग के हेल्थ इंडेक्स में स्वास्थ्य और चिकित्सा के मामले में यूपी सबसे नीचे। ये है उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार की सच्ची रिपोर्ट। दुनियाभर में झूठे विज्ञापन छपवाकर सच्चाई बदली नहीं जा सकती। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री यादव ने इसी ट्वीट में कहा कि लोगों को अब बीजेपी सरकार का सच पता चल चुका है। विदेशियों की आड़ में खुद को छिपाने वाले सबके सामने उजागर हो गए हैं।

गौरतलब है कि ऑस्ट्रेलिया के मंत्री जेसन वुड ने यूपी में कोरोना प्रबंधन के लिए योगी आदित्यनाथ की प्रशंसा की थी। उन्होंने यूपी सरकार के साथ काम करने की इच्छा भी व्यक्त की। उन्‍होंने कहा कि हम उत्‍तर प्रदेश सरकार के साथ काम करने के लिए उत्‍सुक हैं। संस्‍कृति और विकास के संवर्धन के लिए हम लोग उत्‍तर प्रदेश सरकार के साथ काम करेंगे। योगी सरकार ने इस बात को बढ़ चढ़कर अपने हक में प्रचारित किया था लेकिन नीति आयोग की ताजा रिपोर्ट ने योगी को आईना दिखा दिया।

उधर, सोशल मीडिया पर लोगों ने अखिलेश की बात का समर्थन किया। संदीप कुमार ने लिखा- कुपोषण भुखमरी गरीबी बेरोजगारी क्राइम में सबसे नीचे उत्तर प्रदेश योगी सरकार में योगी सरकार नहीं योग्य सरकार चाहिए। जुबिन शेख ने कहा कि अभी तक तो सभी न्यूज़ चैनल पर दिख रहा था कि बीजेपी की नैय्या हिचकोले ले रही है यूपी में। लेकिन अब तो बीजेपी की रैली में भी दिखने लगा है कि बीजेपी की नैया डूब रही है। इसको बोलते हैं जुबान पर राम राम बगल में छुरी।

https://twitter.com/ThePavanYadav/status/1475400734245933059?s=20

हालांकि, कुछ लोगों ने अखिलेश पर भी तंज कसे। पर्यावरण प्रेमी के हैंडल से लिखा गया- आपका शासनकाल इतना भी पुराना नही हुआ कि लोग भूल गये हों। हमको याद है क्या हाल थे सपा शासन में हमारे। एक ने लिखा- पप्पू का रिकॉर्ड तोड़कर अखिलेश भैया भाजपा के सबसे टॉपर स्टारप्रचार बन चुके हैं।लगे रहो अखिलेश भैया योगी जी को फिर CM बना के ही दम लेना। वेदांत दीक्षित ने अखिलेश सरकार के आंकड़े पोस्ट कर कहा- अखिलेश जी ये आपकी सरकार के कार्यकाल के आंकड़े हैं नीति आयोग के ‘हेल्थ इंडेक्स’ के।