प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली हाई पॉवर सेलेक्ट कमेटी ने आलोक वर्मा को सीबीआई के निदेशक पद से हटा दिया है। गुरुवार (10 जनवरी) को इस कमेटी ने 2:1 के फैसले से आलोक वर्मा हो हटाने का फैसला किया। इस कमेटी में पीएम के अलावा लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और चीफ जस्टिस के प्रतिनिधि के तौर पर जस्टिस एके सीकरी शामिल थे। वर्मा पर रिश्वतखोरी और काम में लापरवाही के आरोप हैं। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जब इस तरह से किसी निदेशक को हटाया गया हो। सरकार की ओर से जारी आदेश के अनुसार, 1979 बैच के आईपीएस अधिकारी आलोक वर्मा को गृह मंत्रालय के तहत अग्निशमन विभाग, नागरिक सुरक्षा और होम गार्ड्स का महानिदेशक नियुक्त किया गया है। सीबीआई निदेशक का प्रभार फिलहाल अतिरिक्त निदेशक एम. नागेश्वर राव के पास है।
आलोक वर्मा के तबादले पर सोशल मीडिया में तमाम तरह की चर्चाएं हो रही हैं। कुछ लोग सरकार के फैसले को सही ठहरा रहे हैं तो कुछ सरकार की मंशा पर सवाल उठा रहे हैं। कई लोग पूछ रहे हैं कि अगर आलोक वर्मा भ्रष्ट और नाकाबिल थे तो वो एक पद के लिए अनफिट और दूसरे के लिए फिट कैसे हो सकते हैं। एक यूजर ने लिखा है, एक पद के लिए भ्रष्टाचार का आरोप कैसे लगाया जा सकता है और दूसरे के लिए नहीं? एक अन्य यूजर ने लिखा है, “यह कैसा तंत्र है कि एक व्यक्ति पांच दिन पहले सीबीआई निदेशक पद के लिए उपयुक्त रहता है और पांच दिन बाद भ्रष्ट होकर अनुपयुक्त।” इस बीच रिटायर्ड जज जस्टिस काटजू ने जस्टिस एके सीकरी का पक्ष लिया है।
बता दें कि केंद्र के नरेंद्र मोदी सरकार ने साल 2016 में सीबीआई तत्कालीन निदेशक अनिल सिन्हा के सेवानिवृत होने से कुछ दिन पहले नंबर दो पद पर रहे आर के दत्ता का तबादला गृह मंत्रालय में कर दिया था। इसके बाद गुजरात कैडर के आईपीएस अफसर राकेश अस्थाना को सीबीआई का अंतरिम निदेशक बना दिया गया लेकिन अस्थाना की नियुक्ति को प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी थी। बाद में फरवरी 2017 में केंद्र सरकार ने दिल्ली पुलिस के कमिश्नर आलोक वर्मा को सीबीआई का निदेशक नियुक्त किया लेकिन नंबर वन वर्मा और नंबर दो अस्थाना के बीच सीबीआई में तकरार जारी रहा। हालात ऐसे बिगड़े के 2018 में दोनों अधिकारियों ने एक-दूसरे पर रिश्वतखोरी के आरोप लगाए। बाद में सरकार ने मामले में हस्तक्षेप करते हुए 23 अक्टूबर की आधी रात को दोनों को जबरन छुट्टी पर भेज दिया था।
If #AlokVerma was found to have suspicious integrity by the PM and Justice Sikri (since Kharge dissented) why is he DG Fire Services? How can corruption allegations matter for one post and not for the other
— barkha dutt (@BDUTT) January 11, 2019
Did any Indian journalist try to contact Justice Sikri to get his version about Alok Verma's removal ?I think most Indian media is fake news
— Markandey Katju (@mkatju) January 11, 2019
Justice Sikri was of the opinion that until the matter was fully investigated and a final decision given about the guilt or innocence of Alok Verma he should not remain on the post of Director, CBI but should be shifted to another post equivalent in rank pic.twitter.com/Oq8WXRuYP7
— Markandey Katju (@mkatju) January 11, 2019
