मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के रीवा जिले में युवती के साथ बर्बरता का एक वीडियो सोशल मीडिया (Social Media) पर तेजी से वायरल (Video Viral) हुआ था। इस मामले में पुलिस ने अपराधी को गिरफ्तार कर लिया है। इसके साथ अपराधी पंकज त्रिपाठी घर पर प्रशासन द्वारा बुलडोजर चलाया दिया गया है। इसकी जानकारी एमपी के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) के ऑफिस के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से दी गयी तो सोशल मीडिया यूज़र्स (Social media users) भड़क गए। यूज़र्स का कहना है कि इस तरह से लोकतंत्र को कमजोर किया जा रहा है।
अपराधी के घर पर चला बुलडोजर
रीवा जिले में एक लड़की को उसके प्रेमी ने चप्पल और पैर से बेहरमी से पिटाई कर दी थी। जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर खूब तेजी वायरल हुआ था। इसी मामले में पुलिस ने अपराधी पंकज त्रिपाठी घर पर बुलडोजर चलवा दिया। वहीं, पुलिस ने साइबर सेल की मदद से आरोपी का लोकेशन ट्रेस कर यूपी से गिरफ्तार कर लिया है।
शिवराज सरकार (Shivraj Government) ने दी यह जानकारी
एमपी सीएम (MP CM) शिवराज सिंह चौहान के ऑफिस के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से इस मामले पर लिखा गया,”रीवा जिले के मऊगंज क्षेत्र में युवती के साथ हुई बर्बरता की घटना में अपराधी पंकज त्रिपाठी को गिरफ्तार कर उसके घर पर बुलडोजर चलाया गया। ड्राइवर पंकज का लाइसेंस भी कैंसल कर दिया गया है। मध्यप्रदेश की धरती पर महिलाओं पर अत्याचार करने वाला कोई बख्शा नहीं जायेगा।”
एमपी सीएम (MP CM) को लोगों ने यूं किया ट्रोल
फिल्मेकर विनोद कापड़ी ने लिखा,”मुख्यमंत्री के तौर पर अगर आप ये ट्वीट कर रहे हैं तो मुख्यमंत्री के तौर पर आपको खुलेआम ये भी कहना चाहिए कि अब सारी अदालतों को बंद करके जजों को रिटायर कर देना चाहिए।” @VividhaOfficial नाम के ट्विटर हैंडल से कमेंट आया- तो फिर महिलाओं पर जो अत्याचार कर रहा है उसे सजा दीजिए न… इसमें पूरे घरवालों को क्यों बेघर किया जा रहा है।
@VanditaMishr नाम के एक यूजर द्वारा कमेंट किया गया कि, “क्या बुलडोजर लगाकर घर उजाड़ना बर्बरता के ख़िलाफ़ न्याय है? मुख्यमंत्री के ट्विटर हैंडल से किया गया यह ट्वीट गैरज़िम्मेदाराना ट्वीट है और यह भी न्याय का सम्मान नहीं है। यह किसको खुश करने वाला न्याय है? मुझे तो ऐसे किस्म के ट्वीट से अन्याय की बू आती है।”
@sanjg2k1 नाम के एक ट्विटर हैंडल से लिखा गया- बर्बरता पूर्ण व्यवहार करने वाले युवक को शीघ्र दंड दिलाने के लिए IPC CrPC में पर्याप्त प्रावधान हैं। भूमि अतिक्रमण अलग मामला हैं। क्या अवैध निर्माण हटाने की quasi-judicial प्रक्रिया अंतिम/अंतरिम स्तर तक पूर्ण हो गई थी? यदि हां तो यह मकान पहले क्यों नहीं गिराया गया? @UtkarshSingh_ नाम के एक यूजर ने लिखा,”ये सब करके नींद कैसे आती है आप लोगों को?”